वो....ग्ग्या....
फिर आज इक दिन खो गया,
9 - 2 - 11 हो गया,
लौटा नही है, जो गया.
लो, नौ-दो-ग्यारह* हो गया,
पेचीदा कानूनों में फंस,
प्रतिष्ठा अपनी धो गया !
निर्णय ही देखो खो गया!
झंडे का वंदन हो गया,
आज़ाद पाके ख़ुद को फिर,
जागा ज़रा, फिर सो गया.
प्रतिष्ठा अपनी धो गया !
हंगामा मत बरपा करो,
जो हो गया सो हो गया.
'पिरामिडो' के देश का,
वो तो 'इकत्तीस मारखां' [Ruling since 31 years]
देखो तो फिर भी रो गया.
देखो तो फिर भी रो गया.
--mansoorali hashmi
9 comments:
क्या पता उसे इंतज़ार चालीसवें का तो नहीं :)
बहुत खूब!
मजेदार रचना...
नीरज
मंसूर साहब आपकी रचनाओं का हास्य मुस्कराने को मजबूर करदेता है।
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पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
बहुत सही..
मंसूर साहब, इस शमा को जलाए रखें।
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शिकार: कहानी और संभावनाएं।
ज्योतिर्विज्ञान: दिल बहलाने का विज्ञान।
आदरणीय मंसूर चचाजान
आदाब अर्ज़ !
सादर सस्नेहाभिवादन !
पता नहीं … मेरा कमेंट क्यों नहीं छपा …
हमेशा की तरह कमाल ! … थोड़ा-सा कम मज़ा आया … शायद सोने की चिड़िया के भी ऐसे अंज़ाम पर आप लिखेंगे तब मज़ा ज़्यादा आए … शायद !
प्रणय दिवस सप्ताह भर पहले था तो क्या हुआ … बसंत ॠतु तो अभी बहुत शेष है ।
आपको मंगलकामनाएं न दूं तो किसे दूं ?
♥ प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं !♥
♥ प्यारो न्यारो ये बसंत है !♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हरदिलअज़ीज़ आदरणीय जनाब मंसूर अली हाशमी साहब
मुबारक ! मुबारक !! मुबारक !!!
~*~जन्मदिवस पर बहुत बहुत बधाइयां~*~
और
~*~शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !!~*~
सादर सस्नेहाभिवादन !
ईश्वर आपका यौवन अक्षुण्ण रखे , आमीन !
आपके जीवन में बारह मास बसंत बिराजमान हो , और उसका आनन्द चिरकाल तक सबमें बांटते रहें ।
इस अवसर पर आप नई पोस्ट लगाते तो और भी आनन्द आता ।
सादर आपका ही
- राजेन्द्र स्वर्णकार
~*~जन्मदिवस पर बहुत बहुत बधाइयां~*~
और
~*~शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !!~*~
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