पुन---- र्जनम दिवस [22 फरवरी]
हो गए तिरसठ के अब ; छप्पनिया अपनी मेम है,
हो गए तिरसठ के अब ; छप्पनिया अपनी मेम है,
जंगली बिल्ली थी कभी; अब तो बिचारी Tame है.
सर सफाचट; दुधिया दाढ़ी में बरकत हो रही,
स्याह ज़ुल्फे उसकी अबतक; जस की तस है, same है.
यूं तो अब भी साथ चलते है तो लगते है ग़ज़ब,
'वीरू'* सा मैं भी दिखू हूँ; वो जो लगती 'हेम' है. *[धर्मेन्द्र]
याद एक-दो मुआशिके* ही रह गए है अब तो बस, *[प्रेम प्रसंग]
सैंकड़ो G.B. की लेकिन अबतक उसकी RAM है.
सर भी गंजा हो गया मेकअप पे उनके खर्च से ,
बाकी अब तो रह गया L.I.C. Claim है.
सोचता हूँ कुछ कमाई करलू 'गूगल ऐड' से,
चंद चटखो से मिले कुछ Pence तो क्या shame है.
P.C. अब माशूक है; टीचर भी, कारोबार भी,
अब गुरु, अहबाब, महबूबा तो लगते Damn है.
रहता चांदनी चौक में; रतलाम का वासी हूँ मैं,
इन दिनों करता ब्लोगिंग, हाश्मी surname है.
-मंसूर अली हाश्मी
11 comments:
मंसूर भाई...दिल बाग़ बाग़ हो गया...आपने तो ग़ज़ल लेखन में क्रांति ला दी है...कसम से आप सामने होते तो गले लगा लेता...अंग्रेजी का इतना कमाल का इस्तेमाल खाकसार की नज़रों से अभी तक नहीं गुज़रा...हमें तो लूट लिया आपके इन काफियों ने...सुभान अल्लाह...ऐसा लगा जैसे गोया मेरी ही दास्ताँ लिख मारी हो आपने...एक आध नहीं सैंकड़ों करोड़ों दाद टोकरे भर भर के कबूल फरमाएं...
नीरज .
अरे..आपकी ग़ज़ल के चक्कर में, पुन---- र्जनम दिवस की बधाई तो रह ही गयी...वो भी लगे हाथ कबूल फरमा लें...
नीरज
मजेदार!!
आप सदैव उर्जावान बने रहें...
Ravishankar Shrivastava
भाई वाह! ग़जब का लिखा है.
जन्म दिवस की बधाई.
सादर,
रवि
भाई जान सठिया तो आप चुके ही हैं अब तिरसठियाने के मुबारकबाद कबूल करें...:-)
नीरज
क्या ग़ज़ब की बात है या फिर खुदा का Game है
जो जनम तिथि आपकी है वो इधर भी Same है :)
बहरहाल मुबारक हो :)
मुबारक हो!
जलवा ऐसा ही बना रहें।
जन्मदिवस पर बहुत बहुत बधाइयां
आदरणीय चचाजान मंसूर अली हाशमी जी
सादर प्रणाम !
22फरवरी को आपका जन्मदिवस था … बधाइयों का सिलसिला बना रहे …
…
* आप सदैव सपरिवार स्वस्थ सानन्द रहें ! *
~*~ बधाई बधाई बधाई ! ~*~
रचना पढ़ कर सुना है , बहुत सारे बुजुर्ग ब्लॉगर अपनी जवानी में और जवान ब्लॉगर अपने बचपन में चले गए हैं … । ख़ोज चल रही है कि ऊपरवाले के बनाए कानून में हेराफेरी का काम कौन कर रहा है …
:)
~*~♥जन्मदिवस की हार्दिक बधाई♥~*~
और
~*~♥मंगलकामनाएं !♥~*~
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Umda...
janm diwas ki badhai..
aapke blog par aakar bahut achchha laga.
जब हम होंगे साठ साल के और तुम होगी पचपन की....
प्रीत की रीत यूं ही निभती रहे...ये जज्बा यूं ही बना रहे...
बहुत अच्छा लिखा है तबियत खुश हो गई....
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