Monday, January 3, 2011

कब्जा सच्चा, दावा झूठा !



*("तीसरा  खंबा पर श्री दिनेश रायजी द्विवेदी  का 'फ़ैसला' पढ़ कर........रचित) 

'.क़ब्ज़ा'  सच्चा  है, 'दावा' झूठा  है,
बस चला जिसका उसने लूटा है.

लाटरी जैसे...लगते 'निर्णय' है,
भाग्य अच्छे तो, छींका टूटा है.

अब सड़क भी तो उसके अब्बा की,
पहले जिसने भी गाढ़ा खूँटा है.

ख़ाक पर चलना जिसकी किस्मत थी,
अब करो में भी दिखता जूता है.

सब्र से ही बस, अब नही भरता,
दिल का पैमाना जब से टूटा है.

जिसकी ख़ातिर में रूठा दुनिया से,
वो ही अब देखो मुझसे रूठा है.

mansoorali hashmi

6 comments:

उम्मतें said...

मतलब द्विवेदी जी को पढके आना होगा :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

हमेशा की तरह बेहतरीन। आप का जवाब नहीं।
नया वर्ष आप को और आप के परिवार को बहुत बहुत मुबारक हो!!!

नीरज गोस्वामी said...

सब्र से ही बस, अब नही भरता,
दिल का पैमाना जब से टूटा है.

बेहतरीन...वाह...

वीना श्रीवास्तव said...

सब्र से ही बस, अब नही भरता,
दिल का पैमाना जब से टूटा है.

जिसकी ख़ातिर में रूठा दुनिया से,
वो ही अब देखो मुझसे रूठा है.
कुछ मसरूफियत रही सो आ नहीं सकी... पर आप भी तो रास्ता भूल गए...खैर छोड़िए...मजा आ गया पढ़कर.....बहुत खूब...

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब....

Newport News Attic Insulation said...

Greaat post thankyou