फूटे नसीब है........!
हालात आजकल तो अजीबो ग़रीब है,
है डाक्टर मरीज़, तो रोगी तबीब है.
वां 'नेट' था न डाकिया, फूटे नसीब है,
ख़त जिसके साथ भेजा वो निकला रक़ीब है.
निकला वतन से दूर वो होता ग़रीब है,
भारत में जो भी आया वो बनता 'हबीब' है!
उनका ये काम* था कि मिटाएंगे दूरीयाँ, *Telecom
इस वास्ते तो रादिया उनके करीब है.
हमदर्द उनको* अब भी पुकारे है 'मसीहा' *डाक्टर विनायक'
कानून भेजता जिसे सूए सलीब है.
-मंसूर अली हाश्मी
3 comments:
हमेशा की तरह बेहतर तंज़ है खास कर राडिया वाला :)
ग़ज़ब है आपका तंजिया अंदाज़
उनका ये काम* था कि मिटाएंगे दूरीयाँ,
इस वास्ते तो रादिया उनके करीब है.
Waa alfaaj hai aapke jo kuch hi shabdo mein sab keh daalte hai...
Post a Comment