Thursday, December 2, 2010

चीज़ ये क्या हम से खोती जा रही !

चीज़ ये क्या हम से खोती जा रही !

"कौड़िया" बेमोल होती जा रही,
प्रतिष्ठाए गोल होती जा रही.

'थाम-स'कते हो तो थामो साख को,
कैच उट्ठी बोल* होती जा रही.    *CVC

मोटी चमड़ी का हुआ इंसान आज,
खाल पर भी 'खोल' होती जा रही.

 'विकी' पर अब leak भी होने लगी,
'गुप्त' बाते ढोल होती जा रही.


बंद मुट्ठी लाख की माना मगर,
खुल के अब तो पोल होती जा रही.

चटपटे चैनल पे  ख़बरे अटपटी,
'बॉस' का 'बिग' रोल होती जा रही,

--mansoorali hashmi

12 comments:

उम्मतें said...

हमेशा की तरह बेहतरीन शानदार और चमड़ी उधेड़ तंज़ !

अजित वडनेरकर said...

पहाड़ों के क़दों की खाइयां है
बुलंदी पर बहुत नीचाइयां

आपकी रचना ने ये पंक्तियां भी याद दिला दीं।
हमेशा की तरह उम्दा चिंतन

सादर
अजित

Mansoor ali Hashmi said...

@ Ajit Wadnerkar

शुक्रिया अजित जी,

"बुराई में भी कुछ अच्छईयां है,
हमारी ही तो ये परछाइयां है!"

# आप कुछ भी लिखे तो कुछ हो ही जाता है, बहुत अच्छा शेर quote किया है आपने, अगर याद हो तो ज़रूर बताये कि किस कवि का लिखा हुआ है.
-m.h.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्यारे मंसूर चचाजान
आदाब !
कैसे हालचाल हैं ?
आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
सर्दियां शुरू हो गई हैं , स्वास्थ्य सम्हाले रहें ।

आपके लिखे को तो मैं पोस्ट लगने के साथ ही पढ़ने आ जाता हूं , बस, रचनाओं पर बात करने में ही देर हो जाती है , कई बार चूक भी ।
लेकिन हूं मैं आपकी रचनाओं का मुरीद !

आज की हज़ल के तमाम अश्आर हमेशा की तरह लाजवाब हैं-

"कौड़िया" बेमोल होती जा रही,
प्रतिष्ठाए गोल होती जा रही

अब तो कौड़ियों को पहचानने वाले भी कम रह गए है ।

'विकी' पर अब leak भी होने लगी,
'गुप्त' बातें ढोल होती जा रही

… … :) चलता है , और यही चलेगा अब !

बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Udan Tashtari said...

आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
सर्दियां शुरू हो गई हैं , स्वास्थ्य सम्हाले रहें ।

:)

खैर, इतना गज़ब रच रहे हैण..सब बढ़िया ही होगा.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

गहरा व्‍यंग्‍य।
---------
बारूद के ढ़ेर पर बचपन।
भगवान ने ये दुनिया कैसे बनाई ?

दिनेशराय द्विवेदी said...

हमेशा की तरह जानदार और शानदार!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

"चमड़ी उधेड़ तंज़ ! " अली साहब की बात दोहराना चाहुंगा

Thakur M.Islam Vinay said...

पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
या हादी
(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)

या रहीम
(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)

आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक
{आप की अमानत आपकी सेवा में}
इस पुस्तक को पढ़ कर
पांच लाख से भी जियादा लोग
फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom

irfanuddin said...

"मोटी चमड़ी का हुआ इंसान आज,
खाल पर भी 'खोल' होती जा रही."
सही फरमाया हज़रत आपने... हम और कहां जा कर संभलेंगे....???

अपने ब्लाग पर आपकी राय का मुन्तजि़र हूं......
http://irfanurs.blogspot.com

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

आशा है आप प्रसन्नचित होंगे.
नववर्ष की बधाई और आपके लिए ढेरों दुआएं

irfanuddin said...

"NAYE SAAL HUMKO YEH UMMID DE-DE
TU SAPNE DE NA DE ..PER NEEND DE-DE"
read more at my Blog & give your views plz

Regards... irfan