चीज़ ये क्या हम से खोती जा रही !
प्रतिष्ठाए गोल होती जा रही.
'थाम-स'कते हो तो थामो साख को,
कैच उट्ठी बोल* होती जा रही. *CVC
मोटी चमड़ी का हुआ इंसान आज,
खाल पर भी 'खोल' होती जा रही.
'विकी' पर अब leak भी होने लगी,
'गुप्त' बाते ढोल होती जा रही.
बंद मुट्ठी लाख की माना मगर,
खुल के अब तो पोल होती जा रही.
चटपटे चैनल पे ख़बरे अटपटी,
'बॉस' का 'बिग' रोल होती जा रही,
--mansoorali hashmi
12 comments:
हमेशा की तरह बेहतरीन शानदार और चमड़ी उधेड़ तंज़ !
पहाड़ों के क़दों की खाइयां है
बुलंदी पर बहुत नीचाइयां
आपकी रचना ने ये पंक्तियां भी याद दिला दीं।
हमेशा की तरह उम्दा चिंतन
सादर
अजित
@ Ajit Wadnerkar
शुक्रिया अजित जी,
"बुराई में भी कुछ अच्छईयां है,
हमारी ही तो ये परछाइयां है!"
# आप कुछ भी लिखे तो कुछ हो ही जाता है, बहुत अच्छा शेर quote किया है आपने, अगर याद हो तो ज़रूर बताये कि किस कवि का लिखा हुआ है.
-m.h.
प्यारे मंसूर चचाजान
आदाब !
कैसे हालचाल हैं ?
आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
सर्दियां शुरू हो गई हैं , स्वास्थ्य सम्हाले रहें ।
आपके लिखे को तो मैं पोस्ट लगने के साथ ही पढ़ने आ जाता हूं , बस, रचनाओं पर बात करने में ही देर हो जाती है , कई बार चूक भी ।
लेकिन हूं मैं आपकी रचनाओं का मुरीद !
आज की हज़ल के तमाम अश्आर हमेशा की तरह लाजवाब हैं-
"कौड़िया" बेमोल होती जा रही,
प्रतिष्ठाए गोल होती जा रही
अब तो कौड़ियों को पहचानने वाले भी कम रह गए है ।
'विकी' पर अब leak भी होने लगी,
'गुप्त' बातें ढोल होती जा रही
… … :) चलता है , और यही चलेगा अब !
बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
सर्दियां शुरू हो गई हैं , स्वास्थ्य सम्हाले रहें ।
:)
खैर, इतना गज़ब रच रहे हैण..सब बढ़िया ही होगा.
गहरा व्यंग्य।
---------
बारूद के ढ़ेर पर बचपन।
भगवान ने ये दुनिया कैसे बनाई ?
हमेशा की तरह जानदार और शानदार!
"चमड़ी उधेड़ तंज़ ! " अली साहब की बात दोहराना चाहुंगा
पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
या हादी
(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)
या रहीम
(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)
आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक
{आप की अमानत आपकी सेवा में}
इस पुस्तक को पढ़ कर
पांच लाख से भी जियादा लोग
फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom
"मोटी चमड़ी का हुआ इंसान आज,
खाल पर भी 'खोल' होती जा रही."
सही फरमाया हज़रत आपने... हम और कहां जा कर संभलेंगे....???
अपने ब्लाग पर आपकी राय का मुन्तजि़र हूं......
http://irfanurs.blogspot.com
आशा है आप प्रसन्नचित होंगे.
नववर्ष की बधाई और आपके लिए ढेरों दुआएं
"NAYE SAAL HUMKO YEH UMMID DE-DE
TU SAPNE DE NA DE ..PER NEEND DE-DE"
read more at my Blog & give your views plz
Regards... irfan
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