वाह! ब्लॉगर....
जब कोई चूहा दिखा करते सफाचट आजकल.
जब कोई 'बच्चा'* दिखा देते गटागट* आज कल ,
टीपके, टिपियाके कुछ चढ़ते फटाफट आजकल.
पेन को तलवार सी चमका के रक्खे हर घड़ी,
धर्म ही को धर्म से कैसी अदावत आजकल.
'फैसले ' पर "फ़ैसला" लिखने को कुछ बेताब है,
तीखी होती जा रही उनकी लिखावट आजकल.
शब्दों की खेती पे चलने कैंचियाँ तैयार है,
अपना-अपना उस्तरा अपनी हजामत आजकल.
धर्म हो या देश या ईमान या कि अस्मिता,
काठ की तलवार से करते हिफाज़त आजकल.
कम लिखो, न भी लिखो तो फर्क कुछ पड़ता नहीं,
खाली टिपयाने से भी मिलती है शोहरत आजकल.
'लेखिकाएं' Bold होती जा रही है इन दिनों,
लेखको में दिख रही अबतो नज़ाक़त आजकल.
अब ब्लागों के 'ब्लाको' से ही घर बनने लगे, 'Blocks'
हार्द्वेअरी 'सोफ्ट' ही बनता सिलावट आजकल.
शब्द बेदम भी हो जिनकी साईटे गर आकर्षक,
वो भी चर्चा में है जो करते सजावट आजकल.
ईंट इक की, दूसरे से लेके रोढ़ा इन दिनों,
"आत्म-मंथन" छोड़ क्यूँ करते हिमाकत आजकल?
[*नया ब्लोगर, * candy]
-- mansoorali hashmi
10 comments:
वक़्त की बात है, की कब कोई उंगली करें,
लिख रहे जनाबेआली खूब टकाटक आजकल !
यही आत्म-मंथन है. आपकी पारखी नज़र और शब्द कमाल हैं.
शब्दों की खेती पे चलने कैंचियाँ तैयार है,
अपना-अपना उस्तरा अपनी हजामत आजकल.
धर्म हो या देश या ईमान या कि अस्मिता,
काठ की तलवार से करते हिफाज़त आजकल.
वाह...ब्लॉग जगत के कितने ही मुद्दों पे क्या खूब कहा है आपने...छा रहे हो आजकल...:))
नीरज
सुंदर!!!
सजावट का जमाना है सर जी..तब ब्लॉगजगत कैसे अछूता रह जायेगा. :)
बेहतरीन!
Every dark cloud has silver shine.
जनाब मुझे तो बस ये बता दें की ब्लॉग पर लगी दो
तस्वीरों में से आपकी कौनसी वाली शक्ल है आजकल
हम तो जहां से चले थे अली मिंया, अभी तक वही है आजकल ! :)
लेखिकाओं की बोल्डनेस और लेखकों की नजाकत की एक दो मिसाल दे दें तो मेहरबानी होगी :)
बस यूंहीं आपके आबजर्वेशन से लोगों को जानने की ख्वाहिश हो गई है !
waah..umda :)
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