श्रृद्धा और सबूरी
ब्लोगर, ब्लोगर, ब्लोगर्र,
लिख लिया? शिघ्र पोस्ट कर,
आएगा कोई तो 'जाल'' पर,
सैंकड़ो है तेरे 'चारा'- गर,
हो न मायूस तू एक पल,
सब्र कर, सब्र कर, सब्र कर.
एक दो, मुझसे लो दो गुनी,
"बहुत बढ़िया", बहुत ले लिया,
उससे होती नहीं सनसनी,
पोस्ट १२ बजे क्या लगी,
शून्य पर है टिकी टिप्पणी!
क्यों विकल, क्यों विकल, क्यों विकल,
'बाबरी' या जनम-स्थल?
कौन होगा यहाँ कल सफल,
सर से ऊंचा हुआ अबतो जल,
कर ले मंजूर सब एल हल,
हॉस्पिटल, हॉस्पिटल, हॉस्पिटल!!!
--
mansoorali hashmi
No comments:
Post a Comment