क्या करे!
कभी तूने किसी से कुछ करी क्या 'बेवफाई' है?
न करना ज़िक्र इसका, इसको कहते 'बेहयाई' है.
कोई लिख देगा 'नोवेल' या बना देगा फिलम कोई!
'छिनाली' करके भी लोगों ने याँ दौलत कमाई है!!
फिलम की तरह क्यों रीवर्स चलने लग गयी गाड़ी,
हनीमून, बाद में शादी, और आखिर में सगाई है.
'गुटरगूँ' करने से पहले समझ ले गौत्र की गुत्थी,
सुना है 'खाप' वालो ने "बड़ी सख्ती" दिखाई है.
अगर बच जाये बेलन से तो बे परवाह मत होना,
अभी तो हाथ में झाड़ा है,करछी है, कढ़ाई है.
"उसे" कंधार जा के छोड़ आये, जान तो छूटी!
"यहाँ बैठा" तो बनता जा रहा अब घर जमाई है!!
जो प्रजा है, वही राजा करेगा कौन अब इन्साफ?
यह 'नक्सलवाद' है या ख़ुद से ख़ुद की ही लड़ाई है??
-mansoorali hashmi
6 comments:
कभी तूने किसी से कुछ करी क्या 'बेवफाई' है?
न करना ज़िक्र इसका, इसको कहते 'बेहयाई' है.
बहुत बढ़िया रचना अभिव्यक्ति ....बेवफाई' और बेहयाई क्या बात है ... बधाई
वाह...क्या खूब अंदाज़ है ये आपका...मजे मजे में गहरी बातें कह गए आप...
नीरज
खाप , कंधार और नोवेल वाले शेर ज्यादा पसंद आये !
मंसूर साहब
आदाब अर्ज़ है जनाब !
आपका निराला रंग बदस्तूर जारी है ।
मुबारक ! क्या ग़ज़ल ( हज़ल )पेश की है !
"उसे" कंधार जा के छोड़ आये, जान तो छूटी!
"यहां बैठा" तो बनता जा रहा अब घर जमाई है!!
क्या बात है !
…लेकिन अवाम गूंगी और सरकार बेशर्म !
वही बात , कोई करे तो क्या करे!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जबर्दस्त व्यंग्य पैबस्त है हर शेर में।
बहुत खूब...
क्या करे! कुछ प्रश्न ज्यों के त्यों खड़े हैं.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!!
Post a Comment