Saturday, February 14, 2009

Valentine Day

वेलेंटाइन डे

तितलियों के मौसम   में  चद्दिया उडाई है,
कौन आज गर्वित है,किसको शर्म आयी है?

घात इतनी 'अन्दर'तक किसने ये लगायी है?
संस्कारो की अपने धज्जियां उड़ाई है।

रस्म ये नही अपनी,फ़िर भी दिल तो जुड़ते है,
रिश्ता तौड़ने वालों कैसी ये लड़ाई है!

दिल-जलो की बातों पर किस से दुशमनी कर ली!
ये बहुएं कुल की है, कल के ये जमाई है।

चद्दियां जो आई है,ये संदेश है उसमे,
लाज रखना बहना की, आप उनके भाई है।

प्यार के हो दिन सारे, ये मैरी तमन्ना है,
वर्ष के हर एक दिन की आपको बधाई है।

-मन्सूर अली हाशमी






11 comments:

Vinay said...

बहुत ख़ूबसूत नज़्म है!

---
गुलाबी कोंपलें

Hamara Ratlam said...

घात इतनी 'अन्दर'तक किसने ये लगायी है?
संस्कारो की अपने धज्जियां उड़ाई है।
रस्म ये नही अपनी,फ़िर भी दिल तो जुड़ते है,
रिश्ता तौड़ने वालों कैसी ये लड़ाई है!
प्यार के हो दिन सारे, ये मैरी तमन्ना है,
वर्ष के हर एक दिन की आपको बधाई है।

एक शानदार प्रस्‍तुती - मजा आ गया, सच में!!

Udan Tashtari said...

प्यार के हो दिन सारे, ये मैरी तमन्ना है,
वर्ष के हर एक दिन की आपको बधाई है।


--आपको भी बधाई..सुन्दर रचना.

Anonymous said...

कौन आज गर्वित है,किसको शर्म आयी है?

रस्म ये नही अपनी,फ़िर भी दिल तो जुड़ते है,

प्यार के हो दिन सारे, ये मैरी तमन्ना है,
वर्ष के हर एक दिन की आपको बधाई है।

Anonymous said...

mansoor bhai
aadab


sanskrati bhale na ho apni ek din manaane ki
majhab sikhaate prem aur seekh bhalaai ki

hum fir bhi maare jaate bewkufi ki baaton me
aur kaamyaab ve ho jaate apne iraadon me

karne ki jaroorat nahi ,
kahne ki baat bhi nahi
deewaangi ki manjilon me
premi honge maat nahi
sheeree farhaad , majnu lailaa
kiye jaate hain yaad
aur dastur hai ke
hum unko bhi to
bhulaate nahi

prem ke dushman kaun hain iskaa bavela hai
haath me fool hai hamaare aur dard kyo faila hai ?

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर....

P.N. Subramanian said...

बहुत सुंदर..

daanish said...

"rasm ye nahi apni,
phir bhi dil to jurhte hain ,
rishte torhne walo
kaisi ye larhaaii hai.."

bahut hi achha aur kaamyaab sher kaha hai...
paigaam sach-much duur tk jayega..yaqeen hai .
mubarakbaad. . . . . .
---MUFLIS---

M. Mustali Mansoorali said...

bahut hi sundar aur asardaar rachna rachi hai hashmi ji... aap ke vicharo ki kadr karta hu.. ye aisa sandesh hai jo bharat aur duniya ki tamam awaam ko pohchana chahiye.
shubkamnao ke sath vinanti hai ke sahitya ki khidmat is tarah jari rakhe

Mustali

Prakash Badal said...

वाह हाशमी साहब वाह क्या खूब कहा है आपने आपकी सारी रचनाएं पढ़ गया। मज़ा आ गया।

रज़िया "राज़" said...

सुंदर रचना। आपके कमेन्टस के ज़रीये आप तक पहुंची। मज़ा आ गया।