'आत्ममंथन' यानि .......... 'हाशमी उवाच' ! "बक रहा होश मैं हूँ सुन लीजे फिर कहाँ आप, हम कहाँ होंगे ?" ......Shaikh Mansoor ali Hashmi
बहुत बढिया!!
बहुत सुन्दर रचना
क्या बात है..एकदम मौके पर...चाँद तो अब चन्द्र मोहन हो लेंगे.
चाँद पहले फ़िज़ा में गुम था कहींहर तरफ़ चाँदनी थी छिटकी हुई।अब फ़िज़ा से ही गुम हुआ है चाँदऔर फ़िज़ा रह गयी बिलखती हुई....सुभान अल्लाह क्या बात है....?
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4 comments:
बहुत बढिया!!
बहुत सुन्दर रचना
क्या बात है..एकदम मौके पर...चाँद तो अब चन्द्र मोहन हो लेंगे.
चाँद पहले फ़िज़ा में गुम था कहीं
हर तरफ़ चाँदनी थी छिटकी हुई।
अब फ़िज़ा से ही गुम हुआ है चाँद
और फ़िज़ा रह गयी बिलखती हुई....
सुभान अल्लाह क्या बात है....?
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