गुफ्तगु....... 
 [Raag Bhopali  से प्रेरित  .... अजित वडनेरकर जी की चर्चा को "गुफ्तगू" में परिवर्तित करने की कौशिश ]
   
(टी  .  वी  . एंकर:  -  पाकी नुमाइंदे  के दरम्यान )
T.V.  :  आदाब, भाई जान, वतन के है हाल क्या?
पाकी   :  प्रणाम भैय्या, आप से बेहतर है कुछ ज़रा। 
T . V . : करते है क्यूँ मुदाख़िलत कश्मीर में जनाब ?
पाकी     :  सुंदरता उसकी देख के निय्यत हुई ख़राब। 
T . V .  :   छोड़ो मज़ाक, कैसे 'बिलावल' है भाई जान  ?
पाकी     :   "एक-इंच" भूमि दे दो, है भारत बड़ा महान। 
T . V.   :    'अल-क़ाइदा' से दोस्ती, है अब भी बरक़रार  ?
पाकी      :    एक यह ही प्रश्न हम से क्यों पूछो हो बार-बार ?
T.  V.    :    'हाफ़िज़ सईद' साब , गिरफ्तार क्यों नही ?
पाकी      :    'गुजरात दंगा' केस की रफ़्तार क्यों थमी ?
T.  V.    :    वक़्ते break, कॉफ़ी का अब ले ले कुछ मज़ा !
पाकी      :    अजी, इसके ही वास्ते तो, हम आते है इंडिया !
-मंसूर अली हाश्मी 



