बे-बात की बात!
'कल' तो 'माज़ी' हो गया है, आज की तू बात कर, [ माज़ी को अरबी में 'मादी' भी पढ़ते है]
'येद्दु' से मुक्ति मिली, 'कस्साब' पर अब घात् कर.
करना क्यूँ 'अनशन' पड़े ? रफ़्तार टूटे देश की,
जन का हित जिसमे हो एसा 'लोकपाली' पास कर.
'PUT' को 'पट' पढ़ना नही और 'BUT' को बुत न बोलना,
है poor इंग्लिश तो प्यारे, हिंदी ही में Talk कर.
हारने* के वास्ते अब यूं चुना अँगरेज़ को! *[क्रिकेट में]
अब चुका सकते 'लगां' हम नोट ख़ुद ही छाप कर!!
'ग़र्क' होने से बचा, 'Obama' उसका देश भी,
एक कर्ज़ा फिर मिला, इक और फिर 'Default' कर!
इक 'शकुन्तल' रच रहे है, बनके 'कालीदास'* फिर, *[आज के राजनेता]
जिसपे बैठे है उसी डाली को ख़ुद ही काट कर.
पहले 'क़ासिद' को बिठाते सर पे थे आशिक मियाँ!
काम [com] अब करवा रहे है देखो उसको डांट [dot] कर.
--mansoor ali hashmi