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Wednesday, January 26, 2011
गणतंत्र दिवस की बधाई
litrature, politics, humourous
Republic Day
Wednesday, January 19, 2011
JESSICA/ARUSHI
No One Killed Them
जेसिका/arushi
क्या हुआ गर ये महफूज़ न रह सकी,
'फैसले' इनपे "रक्षित" रहेंगे सदा,
ज़िंदा रखेंगे इनको किताबों में हम,
छाया-चित्रों पे हम इनके होंगे फ़िदा.
नोट:- {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture
-- mansoorali hashmi
-- mansoorali hashmi
Friday, January 14, 2011
यह कैसा शहर है....!
यह कैसा शहर है....!
["शब्दों का सफ़र " के आज के .... . फ़रमान सुनें या प्रमाण मानें से प्रेरित,,,]
'प्रमाणम'* काम आते अब [जनम] पत्रियो के बदले,
Note: {Picture have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
["शब्दों का सफ़र " के आज के .... . फ़रमान सुनें या प्रमाण मानें से प्रेरित,,,]
'नापा' है चाँद जबसे, मअयारे हुस्न बदला,
पैमाना-ए-नज़र अब माशूक की कमर है.
'प्रमाणम'* काम आते अब [जनम] पत्रियो के बदले,
ज्योतिष की क्या ज़रूरत 'भौतिक' पे अब नज़र है.
'फरमान' है- कि गिर न पाए ग्राफ अपना,
महंगाई बढ़ रही है, ये भी तो ख़ुश ख़बर है.
आतंक लाल-हरा था, भगवा भी बन रहा है,
'फरमा' रहे है हाकिम, हमको तो सब ख़बर है.
पी.ए.सी., जे.पी.सी. भी लाएगी क्या नतीजा,
सारे सबूत जबकि होते इधर-उधर है.
[*नापतौल/ आकर-प्रकार ]
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-मंसूर अली हाश्मी
# मकर सक्रान्ती की हार्दिक बधाई, सभी ब्लागर एवम पाठक साथियों को.
# मकर सक्रान्ती की हार्दिक बधाई, सभी ब्लागर एवम पाठक साथियों को.
litrature, politics, humourous
asterlogy,
Changing Values
Sunday, January 9, 2011
हम लोग
हम लोग
'द्रोण' जैसे 'गुरु' है तो यह तो होना है,
'अंगूठे' आज भी अपने कटा रहे हम लोग.
विदेशी लूटेगा कैसे 'सुनहरी चिड़िया' अब,
उन्ही के 'खातो' में 'लक्ष्मी' छुपा रहे हम लोग.
प्याज़ ही में ये दम था रुला सका हमको,
वगरना, बेटी, बहू को रुला रहे हम लोग.
धमाकों में भी तो, 'आनंद' 'असीम' है यारों,
'उड़ाके' ख़ाक दिवाली मना रहे हम लोग.
नए ज़माने में, पीछे क्यों हम ही रह जाते,
स्वयं को लूट के देखो कमा रहे हम लोग.
अब इन्किलाब कि बाते हमें पसंद नही,
'स्वतंत्रता' ही को 'बंदी' बना रहे हम लोग.
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-मंसूर अली हाश्मी
litrature, politics, humourous
Aseemanand,
Dronacharya,
Onion,
Society
Monday, January 3, 2011
कब्जा सच्चा, दावा झूठा !
*("तीसरा खंबा पर श्री दिनेश रायजी द्विवेदी का 'फ़ैसला' पढ़ कर........रचित)
बस चला जिसका उसने लूटा है.
लाटरी जैसे...लगते 'निर्णय' है,
भाग्य अच्छे तो, छींका टूटा है.
अब सड़क भी तो उसके अब्बा की,
पहले जिसने भी गाढ़ा खूँटा है.
ख़ाक पर चलना जिसकी किस्मत थी,
अब करो में भी दिखता जूता है.
सब्र से ही बस, अब नही भरता,
दिल का पैमाना जब से टूटा है.
जिसकी ख़ातिर में रूठा दुनिया से,
वो ही अब देखो मुझसे रूठा है.
mansoorali hashmi
फूटे नसीब है........!
फूटे नसीब है........!
हालात आजकल तो अजीबो ग़रीब है,
है डाक्टर मरीज़, तो रोगी तबीब है.
वां 'नेट' था न डाकिया, फूटे नसीब है,
ख़त जिसके साथ भेजा वो निकला रक़ीब है.
निकला वतन से दूर वो होता ग़रीब है,
भारत में जो भी आया वो बनता 'हबीब' है!
उनका ये काम* था कि मिटाएंगे दूरीयाँ, *Telecom
इस वास्ते तो रादिया उनके करीब है.
हमदर्द उनको* अब भी पुकारे है 'मसीहा' *डाक्टर विनायक'
कानून भेजता जिसे सूए सलीब है.
-मंसूर अली हाश्मी
litrature, politics, humourous
CIRCUMSTANCES
Sunday, January 2, 2011
Saturday, January 1, 2011
Thursday, December 2, 2010
चीज़ ये क्या हम से खोती जा रही !
चीज़ ये क्या हम से खोती जा रही !
प्रतिष्ठाए गोल होती जा रही.
'थाम-स'कते हो तो थामो साख को,
कैच उट्ठी बोल* होती जा रही. *CVC
मोटी चमड़ी का हुआ इंसान आज,
खाल पर भी 'खोल' होती जा रही.
'विकी' पर अब leak भी होने लगी,
'गुप्त' बाते ढोल होती जा रही.
बंद मुट्ठी लाख की माना मगर,
खुल के अब तो पोल होती जा रही.
चटपटे चैनल पे ख़बरे अटपटी,
'बॉस' का 'बिग' रोल होती जा रही,
--mansoorali hashmi
litrature, politics, humourous
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