कैसा ये ज़माना है !
इस देश के बाहर भी इक अपना ख़ज़ाना है.
लिस्ट हमने भिजायी है, हम 'DRONE' नहीं करते ,
'कस्साबो' को हमने तो मेहमान बनाना है.
'फिफ्टी' या 'ट्वेंटी' हो ये टेस्ट [Taste!] हमारा है,
पैसा हो जहां ज़्यादा,उस सिम्त ही जाना है.
ये भी तो सियासत है, सत्ता से जो दूरी हो,
'केटली' को गरम रखने '[सु] शमा' को जलाना है.
ये दौरे ज़नाना है, माया हो कि शीला हो,
ममता को ललिता को अब सर पे बिठाना है.
'बॉली' न यहाँ 'वुड' है,अफवाहों का झुरमुट है,
लैला की ये बस्ती है, मजनूं का ठिकाना है.
घोटाले किये लेकिन, 'आदर्श' नहीं छोड़ा,
मकसद ये 'बुलंदी' पर, बस हमको तो जाना है.
निर्णय ही 'अनिर्णय' है; इस वास्ते संशय है,
ये कैसा ज़माना है! कैसा ये ज़माना है!!
-mansoor ali hashmi