सत्यम, शिवम्, सुन्दरम !
हर एक दिशा में भरम.
शासक है मनमोहनम ,
सत्ता बड़ी प्रियत्तम .
'मोदीललित' अद्रश्यम,
लांछित कई 'थोमसम'.
-मंसूर अली हाश्मी
संस्थाए 'क्वात्रोचियम',
'अफ़साने'* सब दफनम. *[जो अंजाम तक न पहुँच सके]
'करमापयी' शरणम,
'माल' भयो गच्छ्म.
'माल' भयो गच्छ्म.
कानून जब बेशरम,
सोच भयी नक्सलम.
झूठम, कुरूप, रावणम,
सत्यम,शिवम् सुन्दरम.
सत्यम,शिवम् सुन्दरम.
http://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=e17413e790&view=att&th=12e8a493acc298b1&attid=0.2&disp=inline&realattid=f_gkxp8dxo1&zw राजेंद्र स्वर्णकार जी के स्वर में... |
-मंसूर अली हाश्मी
14 comments:
काहे को परेशानाम,
दो सुट्टे भाँग के मारो
और बोल बम-बम ! :) :)
जय हो हाशमी लेखनम !!
अतिसुन्दर
झूठम, कुरूप, रावणम,
सत्यम,शिवम् सुन्दरम
अति सुंदरम्,अति सुंदरम्, अतिसुंदरम्
मोहतरम मंसूर चचाजान
आदाब अर्ज़ !
:) ;)
ग़ज़बम-अज़बम नरम-गरम !
अररर अररर क्या ग़ज़लम !
चली चचा की क़लम-क़लम !
हुई तबीअत तरम-तरम !
दिल डोलम डिग-डिग डम-डम !
हंसी चली रुक-रुक थम-थम !
करूं बड़ाई , उतनी कम !
भ्रष्टम-दुष्टम भसम-भसम !
पढ़-पढ़ राजेन्दर धन्यम !
लिख डाला अल्लम-गल्लम !
♥♥ हार्दिक शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं ! ♥♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
@ rajendra swarnkar:
राजेंद्रजी, ...सत्यम, शिवम्, सुन्दरम.......आपकी आवाज़ में सुनने की तमन्ना है, अगर संभव हो तो!
अरे … मुसीबत !आफ़तम !
कर लेते हैं कोशिशम !
रब्बा रख ले इज़्ज़तम !
दे तो , मीठा दे फलम !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बेहतरीन.
नग़मे का ये ध्वनिअंकनम !
लीजिए लीजिए हाज़िरम !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
@ पी.सी. गोदियाल जी,
------आपने तो 'शंकरजी' वाली 'दवाई' बतादी है, 'शिवजी' ने तो 'ज़हर' पिया था! क्या फरमाते है अब?
Bdhai aadarniy Mansoor Ali ji aapki rachna ko Rajendr ji ke swar mile .....
sun nahin paii abhi koshish ke baad bhi .....
बहुत खूब...
आपकी बात से मैं भी सहमत हूँ कुछ इन शब्दों के साथ
हर तरफ गड़बड़ ही गड़बड़
आखिर जाएँ तो कंहा जाएँ हम
राह तो कोई दिखता नहीं
सभी निकल रहें आम आदमी का दम
सच ही बहुत खूब लिखा आपने बधाई
हर बात का अपना हुस्न होता है सो गडबडी का भी मानिये ! अब जिसका जिसपे दिल आ जाए :)
Bahut khoob!!!
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