वाह भाईजान । मजा आगया । शव्दों पर इन्वर्टेड कोमाज लगा कर क्या रहस्य भर दिया है । शीर्षक भी जोरदार । क्या गिला करें ? गिला तो तब हो जब तूने किसी से भी निबाही हो। भाई जान मुझे ब और व में ज्यादा फर्क समझ में नहीं आता इसलिये कुछ गलती होगई हो तो मुआफी चाहूूगा । पहले जो कमेन्ट दिया था वह लिख तो दिया बाद में सोचता रहा कि मैने किवला लिखा है क्या पता ब बनेगा या व बनेगा। क्योंकि शव्दों के जरासे अन्तर से अर्थ बदल जाता है जैसे दरोगा और दारोगा
9 comments:
miyan, ab vo bhi kare to kya kare,
aisi hi thodi na bukar mila kare ....
आप भी परेशान हो गए उससे :)
अली साहेब,
आदाब!
चुटकी अच्छी ली है आपने!
लेकिन परेशां ना होइए, लेट देम एन्जॉय!
आशीष
--
पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
बहुत खूब हाशमी साहब ! आदाब !
हुज़ूर,
आदाब!
शब्दों के साथ आपका यह खिलंदड़ अंदाज़ खूब भाया।
यक़ीन कीजिए मैं भी समय-समय पर यूँ ही खेल लेता हूँ, शब्दों से।
वाह भाईजान । मजा आगया । शव्दों पर इन्वर्टेड कोमाज लगा कर क्या रहस्य भर दिया है । शीर्षक भी जोरदार । क्या गिला करें ? गिला तो तब हो जब तूने किसी से भी निबाही हो। भाई जान मुझे ब और व में ज्यादा फर्क समझ में नहीं आता इसलिये कुछ गलती होगई हो तो मुआफी चाहूूगा । पहले जो कमेन्ट दिया था वह लिख तो दिया बाद में सोचता रहा कि मैने किवला लिखा है क्या पता ब बनेगा या व बनेगा। क्योंकि शव्दों के जरासे अन्तर से अर्थ बदल जाता है जैसे दरोगा और दारोगा
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
बहुत खूब
आदाब!
bahut achche.
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