Saturday, December 5, 2009

केट / CAT

सी ए टी ...केट , केट यानि बिल्ली नही!




फिर बुद्धिजीवियों से इक mistake हो गई,
अबकी, शिकार चूहे से एक CAT हो गई!  

थी NET पर सवार मगर लेट हो गयी,
होना था T-twenty, मगर test हो गई.

zero फिगर पे रीझ के लाये थे पिछले साल,
इक साल भी न गुज़रा, वो अपडेट*  हो गयी.


e-mail  से जुड़े थे, हुए जब वो रु-ब-रु,
देखा बड़े मियां को तो miss जेट* हो गयी.


बिन मोहर के ही वोट से होता चुनाव अब,

pee  बोलती मशीन ही ballet हो गयी.




महबूबा,पत्नी , बाद में बच्चों कि माँ बनी,
कुछ साल और गुज़रे तो सर्वेंट हो गयी.




'सत्रह बरस'* ही निकली जो लिबराह्नी रपट,
पक्ष-ओ-विपक्ष दोनों में रीजेक्ट हो गयी.




लौट आये उलटे पाँव, मियाँ तीस मारखां,
रस्ते से जब पसार* कोई cat हो गयी.




अमरीका ने नकारा तो रशिया पे ख़ैर की,
स्वाईंन फ्लू से उनकी वहां भेंट हो गयी.




टिप्याएं रोज़-रोज़ तो ये फायदा हुआ,
गूगल पे आज उनसे मेरी chat  हो गयी.




*अपडेट =दिन चढ़े,  *जेट=उड़न-छू,  *सत्रह बरस=अवयस्क,
*पसार होना =गुज़रना.


-मंसूर अली हाशमी 

6 comments:

Udan Tashtari said...

सही है-एकदम सटीक!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

टिप्याएं रोज़-रोज़ तो ये फायदा हुआ,
गूगल पे आज उनसे मेरी chat हो गयी.

Bahut sateek !

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

*सत्रह बरस=अवयस्क !!
:)

Hamara Ratlam said...

bahoot khoob!!!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

समय के साथ सही तस्वीर पेश किया है.
हाशमी अंदाज से लब्ज लैस किया है.

वाह वाह वाह!!!

आखरी शे'र मैंने दिल पर ले लिया.
चलिए अब आप बुरा मान जाईये.

praneykelekh said...

महबूबा,पत्नी , बाद में बच्चों कि माँ बनी,
कुछ साल और गुज़रे तो सर्वेंट हो गयी.