कम करदी
उनके शीरी थे सुखन हम ने शकर कम करदी,
रक्त का चाप बढ़ा, हमने फिकर कम करदी।
बढ़ते दामो ने बिगाड़ा है बजट क्या कीजे,
तंग जब पेंट हुई, हमने कमर कम करदी।
महंगी चीजों से हुआ इश्क, ख़ुदा ख़ैरकरे,
उनको उल्फत थी उधर, हमने इधर कम करदी।
अब ''फ्लू'' फूला-फला है तो अजब क्या इसमे !
चाँद को पाने में धरती पे नज़र कम करदी।
दीद के बदले सदा* छींकों की सुनली जबसे,
उनके कूंचे से अभी हमने गुज़र कम करदी
उनके कूंचे से अभी हमने गुज़र कम करदी
*गूँज
-मंसूर अली हाशमी
-मंसूर अली हाशमी
5 comments:
अब क्या क्या कम करे बताईए
कब तक आँखे नम करे बताईए
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बहुत खूब लिखा है आपने
बहुत अच्छा लगा
bahut hi sundar bhaw our shabd hai shidhe dil tak pahuncha...........badhaaee
जश्ने आजादी के मौके पर इस से खूबसूरत रचना और क्या होगी।
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
छा गए चचा!
छा गए!
पहली बार पढ़ा है आपको, अच्छा लगा, स्वागत है आपका भाई जी !!
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