खाली वुड
I DON'T NEED TO SHOW MY LEG TO WIN NOTICES -Katrina kaif [T.O.I]
बाला* कद्रो के कदरदान जब तलक मौजूद है,
घुटनों या पाओं तलक हरगिज़ न जाना चाहिए.
CENSOR की कैंचिया हो जाये 'बूथी' इससे कब्ल,
बिक्नियों की बिक्रियों को रोक देना चाहिए.
Gay-परस्ती को बढावा देने वाले है यहीं,
निर्बलों को भी कभी नोबल दिलाना चाहिए.
Laughter show सी कहानी अब सफल होती यहाँ,
लेखको को काशी-मथुरा भेज देना चाहिए.
राज-नीति में अदाकारों की अब भरमार है,
शीश महलो से निकल जूते चलाना चाहिए.
आर्ट को फिल्मों में ढूंढे ? कोई मजबूरी नही,
SHORT से भी शोर्ट में अब तो छुपाना चाहिए.
*ऊपरी
8 comments:
मंसूर अली पादे गली गली
ख्वाहिशें अच्छी हैं।
kya baat hai bahut kaskar vayang kiya hai aapne
ज़नाब मंसूर साहब,
आदाब,
कमाल का व्यंग्य है बिल्कुल करारा, जिन पटाखों का जिक्र है उनसा ही।
आपके जज्बे पारखी और पैनी नज़र को सलाम ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
Laughter show सी कहानी अब सफल होती यहाँ,
लेखको को काशी-मथुरा भेज देना चाहिए.
waah janaab !!
aise tevar....bilkul steek baat..
aur wo bhi aasaan lehje meiN...
mubarakbaad .
---MUFLIS---
बहुत ही उम्दा ख़्यालात
मंसूर साहब, आपका व्यंग्य बोध कमाल का है।
मज़ा आया।
सबसे ऊपर की टिप्पणी मुझे अर्थहीन लगी। उसे हटा क्यों नहीं देते हैं ...
॰अजित वड्नेरकर्……
[सबसे ऊपर की टिप्पणी मुझे अर्थहीन लगी। उसे हटा क्यों नहीं देते हैं ...]
अजित साहब, मै तो निर्बलो को भी नोबल दिलाने के पक्ष मे हूं… और आप है कि बोलने का अधिकार भी नही देना चाहते उन्हें!
वैसे भी सबसे नीचे एवम पीछे की चीज़े ही तो ऊपर आ बैठी है, आजकल!
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