Friday, September 16, 2011

New Values

अच्छा तो हम चलते है !



हरइक सुबह वो कुत्ते संग जोगींग पे निकलते है,
उसे निबटा के रस्ते में , ये घर आकर निबटते है.

उलटते है, पलटते है, अदलते है, बदलते है,
जहां सत्ता का सुख मिलता, उसी जानिब फिसलते है.


बयानों को वो अपने ख़ुद उगलते है, निगलते है,
ये बेपेंदी के लौटे है, यहाँ से वां लुढ़कते है.


सभी को मौक़ा मिल जाता यहाँ कुछ कर दिखाने का,
जो  अनशन कर नहीं पाए वो अब उपवास करते है. 

उछाल आये जो डॉलर में तो रुपया पानी भरता है,
बिगड़ जाता बजट तबतेल के जब दाम चढ़ते है.


हमारे 'अर्थ' की अब है व्यवस्था ग़ैर हाथो में ,
कोई खींचे है धागा , और हम बस हाथ मलते है.

Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. 
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
mansoor ali hashmi 

Monday, September 12, 2011

SILENT CRY


जब भी बोला है सच ही बोला है!

मुंह नहीं उसने अपना खोला है,

उसका चुप रहना ही तो ‘बोला’ है.

दर्द दुनिया का भर लिया दिल में,

हाथ में उसके खाली झोला है.

खाताधारी ‘Swiss’ का बन बैठा,

रत्ती,माशा कभी था, ‘तोला’ है.

आबे ज़मज़म न गंगा जल की तलब,

हाथ में अब तो कोका कोला है.

‘वो’ किसी और को, कोई ‘उसको’,

ठोंकता है सलाम- ‘ठोला’ है. 

मुफ्त का माल, बे रहम हो जा,

फ़िक्र क्या करना? हाजमोला है!

क्यों रसन, दार पर सजी फिर से,

सच ये फिर आज कौन बोला है ?

दोनों जानिब नज़र वो आता है,

झूलता रहता है हिंडोला है !

इन्किलाब अब तो यूं भी आते है,

बन गयी जब भी भीड़ ‘टोला’ है.


 --mansoor ali hashmi 

Sunday, September 11, 2011

FACE BOOK


किताबी चेहरा....!



फेसबुक पर जो खाता खोला है,

गोपियो ने तो धावा बोला है .

मित्र संख्या है अब हज़ारो में,

उम्र उसकी तो  सिर्फ सोलह है.

दोस्ती का नही है अर्थ पता,

सिर्फ हाय, हलो ही बोला है.

उम्र आधी किसी की दुगनी है,

कोई राधा, कोई रमोला है.



बे-बटन शर्ट, शोर्ट पहने है ,    


हाथ में एक बरफ का गोला है.  

“चित्र’ कितना तुम्हारा सुन्दर है”,

लिख के इतना ही बस टटोला है!


Note: {Picture have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}

-मंसूर अली हाश्मी


Thursday, September 1, 2011

SEASON'S GREETINGS


गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सभी ब्लागर साथियो और देश वासियों को हार्दिक बधाई. 
पटाखा छोड़ा, निकली 'सुरसुरी' है !
लड़ाई ये हमारी ख़ुद से ही है,
ये 'रिश्वत' तो हमी ने दी है, ली है.

मिले जो 'आश्वासन' सब हसीं है,
मगर उसमे भी लगती कुछ कमी है.

बनाया इसको जनता ने सही पर,
ये 'संसद' अब तो उससे भी बड़ी है.

कभी 'टूटा', कभी 'तोड़ा' गया है,
है 'अनशन' तो पुराना, रुत नई है.

वो 'टोपी' जिससे नफरत हो रही थी,
उसे 'अन्ना' की खातिर पहन ली है.

'चतुर्थी', 'ईद', पर्युशन' का मौसम,
अमन है, शान्ति है, ज़िन्दगी है.

न हाकी, रेस, न ही भांगड़ा है,
प्राजी!*, ये घड़ी क्यों रुक गयी है.        *[पंजाब वासी]

सियासत ही में बाज़ी आजमाए,
दिगर खेलो में हारा 'हाशमी' है.

-मंसूर अली हाशमी 

Wednesday, August 31, 2011

Eid Greetings

मुबारक बाद/ बधाईयाँ...


ईद के मुबारक मौक़े पर मुस्लिम भाईयों एवं तमाम देश वासियों को हार्दिक बधाइयां.

आप सबकी एवं देश की प्रगति एवं समृद्धि की शुभ कामनाओं सहित.

आज इस पावन अवसर पर मोबाइल में एक अनोखा दृश्य क़ैद हुआ, जो मैं आप लोगों के साथ शेअर करना चाहता हूँ:



सैफ़ी मोहल्ला, रतलाम स्थित बड़ी मस्जिद के बाहर सुबह के वक़्त ईद की नमाज़ पश्चात जबकि अधिकतर लोग घर लौट  चुके  थे, एक भिखारिन को ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों ने सहृदयता से दान दिया. [उनकी इजाज़त से ही मेने यह तस्वीर खींची  है]  

भिखारिन की मासूमियत पर मुझे बरबस ही प्यार आया, साथ ही पुलिस कर्मियों की उदारता और प्रेम पूर्वक व्यवहार से मन अभीभूत हुआ.

-मंसूर अली हाशमी 

Thursday, August 25, 2011

DIPLOMACY


नए नेता की सूची में तेरा भी नाम है प्यारे !

सियासत जिसको कहते है, इसी का नाम है प्यारे,
कोई 'अन्ना' बना है तो कोई 'गुमनाम' है प्यारे.

बुझे दीपक से नज़रे ही चुराते सबको देखा है,
चमकते 'सूर्य' को करते सभी प्रणाम है प्यारे.

जहां पर चापलूसी, झूठ का ही बोल बाला हो,
शराफत, दोस्ती और वफ़ा नाकाम है प्यारे.

हर एक 'मंसूर' को फांसी चढ़ाने को तुले है वो, 
'गुरुओ' और  'कस्साबो' को तो आराम है प्यारे.



















मोहब्बत दीन है और मोहब्बत ही ख़ुदा ए दोस्त,
जला नफरत के रावण को जो तुझ को 'राम' है प्यारे.

"भ्रष्टाचार मिट जाए" यही है कामना सबकी. 
अभी तो देश में ये ही बड़ा एक काम  है प्यारे . 

Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. 
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
--mansoor ali hashmi 

Tuesday, August 23, 2011

Whitewashed !


धोए गए कुछ ऐसे कि बस साफ़ हो  गए !

धोए गए बुरी तरह इस मानसून में,
वैसे भी तर-ब-तर* तो थे इस माहे जून में.

[*बहुत सारी जीत और पैसा कमाया था पिछले ही महीने [जून] तक ]

चारो गँवा के बैठ गए अबतो खाली हाथ,
आता नहीं है जोश क्यूँ अब अपने खून में.

एक 'सैंकड़ा' सचिन अगर ले आता साथ में,
ख़ुश होके भूल जाते सभी कुछ  जुनून में.

बल्ले नहीं चले मगर इस बार गेंद भी,
'गोरो' को लग रही थी  Honey जैसी  Moon में.

अपनी अपेक्षाए ही हमको तो 'छल' गई,
हम है कि ढूँढते है उसे कोई  Goon*  में.          *ठग 
 
--mansoor ali hashmi 

Sunday, August 21, 2011

कौन ? आर.एस.एस.! ,C.I.A. !, पाकिस्तान ! OR ...?


कौन ?  आर.एस.एस.! ,C.I.A. !,  पाकिस्तान ! OR ...?

हस्ती को जो अपनी यूं मिटा लेता है यारों,
Unknown को  अण्णा वो बना देता है यारों.

'जन-लोक' अगर बन नहीं पाया है तो हुशियार !
सैलाब वो जन-जन में उठा देता है यारों.

जन भावना राहत में हो, आह़त हो अगर तो,
सरकार बना देता, हटा देता है यारों. 

अब 'राम की लीला' पे है अण्णा को भरोसा,
भ्रष्टो को जो आखिर में सज़ा देता है यारो !
   
--mansoor ali hashmi 

Sunday, August 14, 2011

YAAHOOO !


या....हूँ....
[आज शम्मी कपूर के दुखद निधन पर उन पर लिखे सन २००८ के एक लेख को पुन: प्रस्तुत कर रहा हूँ, श्रद्धांजली स्वरूप:]
( इत्तेफाक से ये 'आत्म-मंथन' पर २०० वीं पोस्ट के क्रम पर प्रकाशित हो रही है.)

Shammi Kapoor





शम्मी कपूर 

एक समय में अरब मुल्को में खासकर लेबनान,जोर्डन ,कुवैत वगेरह में शम्मी कपूर का जादू चलता था। 'जंगली' वाला ज़माना था वह। याहूँ तो यहाँ खूब गूंजा, सिर्फ़ नौजवानों में ही नही सभी तबको में। 'याहूँ'  काल की यादें  आज भी पुराने लोगों के दिलो में स्थापित है। desktop पर पहुँचने वाला याहू भी इसी नस्ल का है, इसका मुझे कोई अंदाज़ नही।

फिर 'तीसरी मन्ज़िल के musical songs ने भी हम से ज़्यादा अरब लोगो  को ही नचाया था। शम्मी कपूर की कद-काठी , रंग-रूप में अरब लोगों को अपने जैसी ही झलक मिलती थी । खासकर तबियत की 'शौखी'  इसको तो ये लोग अपनी ही विरासत समझते है।

शम्मी कबूर [अरबी भाषा में 'प' स्वर के आभाव से बना उच्चारण] का दो दशक तक यहाँ एक छत्र राज कायम रहा।

इन देशो के मूल निवासियों के अतिरिक्त यहाँ बसे हुए एशियन मूल के लोगों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा भारतीय रंगकर्मियों और फिल्मो की लोकप्रियता को बढ़ावा देने में।

अब ग्लोबलाइज़ेशन  के दौर में कलाकारों को जो 'मेवा'  खाने मिल रहा है, वह उनकी सेवाओ के मुकाबले में कई गुना ज़्यादा है। भाग्यशाली है आज के अनेक कलाकार!

एक और भारतीय सांस्कृतिक राजदूत 'शम्मी कपूर' को मेरा सलाम।

मंसूर अली हाश्मी [मिस्र से , २०सितम्बर २००८]

Friday, August 12, 2011

Reality


हर जगह मेरा जुनूँ  रुसवा हुआ !

# विष्णु बैरागी ने जब फतवे पे इक 'फ़तवा'* दिया,   *एकोऽहम्अज्ञान का आतंक
   चौंके पंडित और मुल्ला भी अचंभित रह गया.

# हर गली हर मोड़ पर अन्ना पढ़ा, अन्ना सुना,
   भ्रष्ट चेहरों पर मगर आई नज़र मक्कारियां. 

# "खेल ये क्रिकेट हमारा है", बड़ी अच्छी तरह,
   घर बुला कर हमको गौरो ने तो बस समझा दिया.

# दासता से मुक्त गांधी ने अगर करवाया तो,
   मुश्किलों के वक़्त में जे.पी. कभी अन्ना मिला.

# नाम अपने देश का  जग में बहुत चमका दिया,
   कैग [CAG]  कहता है ज़रूरत से अधिक खर्चा किया.


# सबसे ज़्यादा है अगर दौलत तो 'भगवानो' के पास !
   'नास्तिक' तू गुमरही में अब तलक भटका हुआ !!

# भीड़ से बचने को 'आरक्षण' ज़रूरी है अगर,
   क्या हुआ ! मैंने जो अपना आज 'रक्षण' कर लिया? 

# I.A.S. और  I.P.S. , 'प्रदेश' से बढ़ कर नही,
   जो 'गुजरता' जा रहा था क़ैद* क्यूँ उसको किया ?        *Record

-Mansoor ali Hashmi