Saturday, September 21, 2013

अबकि 'चुनाव' जीत के हम भी दिखाएँगे !








अबकि  'चुनाव' जीत के हम भी दिखाएँगे !

फिर लग रहा है काम में 'दंगे' ही आयेंगे,
अब सद-चरित्र ! भाव में बारह के जायेंगे। 

'सद भावना' से 'दान में, मिलती 'भूमि' अगर,
'संत भावना' ही से तो, उसे हम पचाएंगे। 

'त्रि नाड़ी शूल', जेल का एकांत हाए-हाए !
'पंचेढ़-बूटी' संग मेरी 'नीता' बुलाएंगे ?

यह भी तो 'राम-राज्य' है, पानी के भाव ! 'अन्न'    
सरकार दे रही है तो हम बैठ खायेंगे। 

'कौड़ी' के भाव मिल गयी, सत्ता में सुख तो है,
'ससुराली' है ज़मीन इसे बेच खायेंगे! 

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--mansoor ali hashmi