बदलती परिभाषाएं !
पारदर्शिता' का सन्देश हुआ यूं व्यापक,
नग्न होने को ज़रूरत नहीं हम्माम की अब.
'साफगोई' का चलन जब से बढ़ा, ये देखा,
गालियों से भी क़दर बढ़ती है, इंसान की अब.
हुस्न के, जिस्म के, बदले है मआनी कैसे,
लो उठा शोर,कि शर्ट फटती है, 'सलमान' की अब.
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बदलता ज़माना !
'चारागर' ही को ज़रूरत है, मुआलिज की अभी,
खुद 'मुआलिज' ही भरोसे पे है भगवान के अब.
अब 'रफूगर' का गिरेबाँ ही मिला चाक हमें,
पैराहन फैंक दिया, 'मजनूं' ने किस शान से अब
'दार्शनिक' ख़ुद को दिखाने पे तुले है अबतो,
थे जो 'प्रसिद्द', वही दिखते है, अनजान से अब.
अब तो 'ईमान' की दाढ़ी में दिखे है तिनके,
और 'चोरो' को निगहबानी के फरमान है अब.
'राहबर' है मुतलाशी, किसी भटके जन का,
'राहज़न', फर्मारवाओं के जो मेहमान है अब.
'ज्ञान-भंडार' सुरक्षित हुए अब 'चिप्सो' में,
'पुस्तकालय', नज़र आते है, वीरान से अब.
'सब्र' ने फाड़ दिया अपना ही दामन अबतो,
'जब्र' के खेमे में होने लगी सुनवाई है अब.
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
-- mansoor ali hashmi
13 comments:
इस बार की रचनाऍं मेरी समझ से बाहर ही रह गईं। उर्दू का अल्प ज्ञान आडे आ गया।
कल रात से ही आपके ब्लॉग पर टिप्पणी पोस्ट करने की कोशिश कर रहा था। कामयाबी आज मिल पाई।
♥
बदलती परिभाषाएं ! पढ़ कर आनंद आ गया …
एक से बढ़कर एक !
आपके तोहफ़े हैं नेक !!
आदरणीय चचाजान मंसूर अली हाश्मी जी
प्रणाम !
पहले फोटो में दूसरे नंबर वाले नलके पर तीसरे नंबर पर नहाने वाले आप ही हैं क्या !? कहां का है यह फोटो ?
मस्त :)
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
'ज्ञान-भंडार' सुरक्षित हुए अब 'चिप्सो' में,
'पुस्तकालय', नज़र आते है, वीरान से अब. ekdam sai he uncle
धन्यवाद, राजेंद्रजी,
यह तस्वीर मृत्यु-सागर (Dead Sea) पर ली गयी है, जो जोर्डन और इसराइल के बीच स्थित है, अक्टूबर २००८ के इसराइल के सफर के समय. अपने ब्लॉग पर यह तस्वीर छापने की हिम्मत इसलिए हुई कि खुद श्रीमती हाशमी ने यह चित्र छायांकित किया था, वर्ना अपनी क्या मजाल !
मृत्यु-सागर के बारे में अधिक जानकारी निम्न साईट पर देखे. इस झील या सागर की विशेषता यह है कि इसमें हम डूब नहीं सकते [तभी तो पत्नी ने इजाज़त दे दी थी!) , पानी का घनत्व बहुत अधिक होने से.
http://www.sfbsc.com/20-dead-sea-facts
-मंसूर अली हाश्मी
राजेन्द्र स्वर्णकार साहब ने मेरे मुंह की बात छीन ली कि पारदर्शिता की कतार में तीसरे नम्बर वाला बंदा जाना पहचाना सा लगता है हालांकि उसका ध्यान किसी और की तरफ है या फिर वह ऐसा करने की एक्टिंग कर रहा है :)
बाद के तमाम अशार भी इसी फीलिंग्स के साथ पढ़े हमने :)
.
कुछ समस्या चल रही है ब्लॉगों के साथ
…आपके जवाब के बाद इतना लंबा चौड़ा कमेंट लिखा
पब्लिश करने के लिए क्लिक करते ही आपका ब्लॉग अदृश्य हो गया …
अब ज़्यादा नहीं कह कर
चाचीजान को बहुत बहुत शुक्रिया कह रहा हूं …और आदाब अर्ज़, प्रणाम भी !
ऐसी अनदेखी तस्वीरें लगाते रहा करें आगे भी
:))
बहुत सटीक संदर्भ लेते हैं आप हमेशा...
शुक्रिया अली साहब,
'छीना-झपटी' का ही ज़माना चल रहा है, आपकी यह टिपण्णी भी मैं 'spam' से ही 'छीन' कर बाहर निकल पाया हूँ ! 'Blogger' को जाने क्या हो गया है.
'ब्लॉगर' के साथ वाक़ई कोई समस्या चल रही है.
आपकी चची जान को आपकी लम्बी-चौड़ी टिप्पणी पढ़ने की तमन्ना अधूरी रह गयी.
मध्य-एशिया [middle-east] का हुस्न हमारे केमेरा को बहुत रास आया था, किसी मुनासिब मौके से आपकी फरमाईश का ख़याल रहेगा ! धन्यवाद.
चाचा मान गए.....ये तो भला हो चची जान का जो ये फोटू ले ली..वरना हमारा ध्यान तो पूरी तरह से उर्दू के लफ्जों का मतलब ही ढूंढने में रह जाता...चची जान का शुक्रिया करते हैं हम..वैसे भी इस तरह कतार में नहाकर कोई मरता है क्या ..जब मृत्यु सागर पीछे ही हो..
शुक्रिया, क्या बिंदास बोलते हो भाई ! कुछ तस्वीरे हमने भी पकड़ ली थी ...लाल सागर [Red Sea], River Nile और Pyramids पर, मुलाहिज़ा फरमाए.......
http://hashimiyaat.mywebdunia.com/photos/2.html?
यह भी मुलाहिज़ा फरमाएं:
http://hashimiyaat.mywebdunia.com/photos/2.html?
अच्छी प्रस्तुति...
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