Thursday, November 25, 2010

ये क्या कर दिया !

ये क्या कर दिया !
पूंजी के   'विचरण' ने जब 'बाएं' को 'दायाँ' कर दिया,

ख़ुद हथौड़े ने ही, हंसिये  का सफाया कर दिया.     





'दस्तकारी' में कुशल अँगरेज़ ने इस मुल्क को.
एक था सदियों से जो, मैरा-तुम्हारा कर दिया.

रुक गई थी ट्रेन, लो! अब बुझ गयी है लालटेन,
'चारागर'  को किसने ये आखिर बिचारा कर दिया.   
      
'ये-दू', वोह दूँ , सब दूँ  लेकिन इस्तीफा मांगो नही,       
मैं 'विनोबा' आज का,   'भू- दान' सारा कर दिया.

लुट गई इक बार फिर, नगरी ये 'हस्तिनापुरम'*          
अपने ही लोगो ने अबकी काम* सारा कर दिया.      *C.W.G.




शब्द ले "शब्दावली"* से 'हाशमी' ने आज तो, 
लेख अपना, जैसे-तैसे आज  पूरा कर दिया.

*http://shabdavali.blogspot.com

Note: {Picture have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
-- mansoorali hashmi

Wednesday, November 17, 2010

'लक्ष्मी' की चाह ने कई 'उल्लू' बना दिये !


'लक्ष्मी' की चाह ने कई 'उल्लू' बना दिये !


'भज्जी'  ने 'kiwi' बोल के भजिये बना दिये,
'अठ-नम्बरी' ने बेट से छक्के छुड़ा दिये. 

'राजा' ने बिना-तार* भी छेड़े करोड़ों राग,    [*wireless]
'अर्थो' की सब व्यवस्था के बाजे बजा दिये.

'आदर्श हो गए है, हमारे flat* अब,   [*ध्वस्त]
'ऊंचाई' पाने के लिए ख़ुद को गिरा दिये.

'दर्शन' को जिसके होते हज़ारो कतारबद्ध!
वाणी के बाण से कई मंदिर* ढहा दिये.  [*अनुशासनिक आदर्श] 

mansoor ali hashmi