Sunday, June 29, 2014

फिर 'Define' संस्कृति करने लगे !


फिर 'Define' संस्कृति करने लगे !

'काजल कुमारजी के कार्टून और उस पर आयी टिप्पणियों से प्रेरित हो कर :
(https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10203338300033754&set=a.1134674802573.2021780.1098392331&type=1&theater)





'गन्दी बातें' अच्छी जब लगने लगे 
ज़ात ख़ुद की ख़ुद को ही जंचने लगे 

नींद के औक़ात जब घटने लगे 
आसमाँ के तारे तब गिनने लगे 

क़द बढ़े और अंग भी बढ़ने लगे 
तंग हो, कपडे भी जब फटने लगे 

'पीरियड' ! में पेट में दुखने लगे 
मन पढ़ाई में भी, कम लगने लगे  

'वात्स्यायन' पढ़ने का, मन हो मगर 
योग-आसन का सबक़ मिलने लगे 

'हर्ष' में वर्धन' भला अब कैसे हो ?
'ज्ञान' से 'विज्ञानी' भी डरने लगे ?? 
http://mansooralihashmi.blogspot.in

-- mansoor ali hashmi 

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