Saturday, August 24, 2013

बलात्Car


बलात्कार 



'कर्ता' जो कुछ न करता हो 'बेकार' ही तो है !
इंजन बिना भी चल रही 'सरकार ही तो है. 



धारण किये है मौन और 'ऊर्जा' है क्षीण-क्षीण,
'सरदार'  जो है अपने 'अ'सरदार ही तो  है. 

शामिल रज़ा* न हो तो 'बलात्कार' ही तो है,              *permission 
हठधर्मिता की श्रेणी; व्याभिचार ही तो है। 

प्रशस्त कर रहे है वो 'मुक्ति' का मार्ग ही !
"बाबा"* जो कर रहे है वो सहकार ही तो है!!              * आज के 'बापू'

'रूपये' के दम पे करते थे व्यापार कल तलक 
'रूपये' का घटना आजकल व्यापार ही तो है. 

फिर 'धर्म' का जुनून अब सर पर सवार है,
दंगाईयों की राह फिर हमवार ही तो है. 

Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.
--mansoor ali hashmi 

2 comments:

Neeraj Neer said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (26.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

Udan Tashtari said...

हम्म!!