Thursday, October 4, 2012

ग़ैरतमंद !


ग़ैरतमंद  !


मेने कहा करते हो क्या ?
उसने कहा ''हलक़तगिरी''

करदो शुरू गांधीगिरी,
"मिलता नहीं ''सर्किट कोई !"

करते हो 'मत' का 'दान' भी ?
उसने कहा "फुर्सत नहीं"

करदो शुरू तुम भी 'खनन'
"उसमे भी अब बरकत नहीं"

बेशर्म हो!, कूदो, मरो!!
"ऊंचा कोई पर्वत  नही!"

क्रिकेट में है फायदा !
"चारो तरफ CCTV !"

मंगल पे जाना चाहोगे  ?
"गद्दों की याँ पर क्या कमी !"

लड़ते इलेक्शन क्यों नहीं?
"बोगस कहाँ वोटिंग रही?"

चौराहे पर हो क्यों डटे?
"मिलती नहीं पतली गली"

सब कुछ ख़तम क्या हो गया ?
"बस शेष है ब्लागिरी*           *Blogging  ब्लागिरी  
करता हूँ वो ही रात-दिन,
देते कमेन्ट है 'हाशमी' "


-मन्सूर अली हाशमी 

7 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह हाशमी साहब बहुत बढ़ि‍या

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत खूब। आप बाहर थे, कब लौटे?

Gyan Dutt Pandey said...

शुक्र है, ब्लॉगरी शेष है!

कुमार राधारमण said...

काफी रोचक बन पड़ा है।

कविता रावत said...

सब कुछ ख़तम क्या हो गया ?
"बस शेष है ब्लागिरी* *Blogging ब्लागिरी
करता हूँ वो ही रात-दिन,
देते कमेन्ट है 'हाशमी' "
..अब कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता ही ..बस जिंदगी चलते रहनी चाहिए
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....

Udan Tashtari said...

उम्दा!

हिंदी चिट्ठा संकलक said...

सादर निमंत्रण,
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