समझौता
वातावरण में शोर न पैदा करेंगे हम,
दिल के दीये जला के उजाला करेंगे हम.
फोड़ा पटाखा,फहरा पताका है चाँद पर,
दीपावली वही पे मनाया करेंगे हम.
कुर्बानियां तो ईद की करते है बार-बार,
खुद को भी अपने देश पे कुर्बां करेंगे हम.
पटरी से रेल उतर गई, इंजन बदल गया,
भैय्या! कुछ-एक बरस तो अब चारा चरेंगे हम.
'छठ' हम मना न पायेंगे दरया* में अबकी बार,
चौपाटी पर दुकाँ तो लगाया करेंगे हम.
९ के मिलन के साल में नैनो नही मिली,
नयनो में उनको अपनी बिठाया करेंगे हम.
*समुन्द्र
-मंसूर अली हाशमी
Monday, October 12, 2009
Sunday, October 11, 2009
This Time
अबकी बार ......
'नो बोल' सा लगे है ये नोबल तो अबकी बार,
मंदी के है शिकार धरोहर* भी अबकी बार.
फिल्मों पे इस तरह पड़ी मंदी की देखो मार,
बनियाँ उतर चुका था गयी शर्ट अबकी बार.
कहते है अब करेंगे नमस्ते वो दूर से,
स्वाईन से बच गए, हुआ डेंगू है अबकी बार.
जिन्ना को याद करके तिजोरी भरी कहीं!
सूखा कहीं रहा कहीं सैलाब अबकी बार.
है राष्ट्र से बड़ा* वो जहाँ पर चुनाव है,
पहले थे चाचा शेर, भतीजा है अबकी बार.
परियां तो खिलखिलाती है, सुनते थे अब तलक,
देखा उड़न-परी* को बिलखते भी अबकी बार.
वो [bo] फोर्स लग गया की वो* बाहर निकल गए,
उनका समाप्त हो गया वनवास अबकी बार.
*वैश्विक संपदा
*महाराष्ट्र
*पी.टी. उषा
*क्वात्रोची
-मंसूर अली हाशमी
'नो बोल' सा लगे है ये नोबल तो अबकी बार,
मंदी के है शिकार धरोहर* भी अबकी बार.
फिल्मों पे इस तरह पड़ी मंदी की देखो मार,
बनियाँ उतर चुका था गयी शर्ट अबकी बार.
कहते है अब करेंगे नमस्ते वो दूर से,
स्वाईन से बच गए, हुआ डेंगू है अबकी बार.
जिन्ना को याद करके तिजोरी भरी कहीं!
सूखा कहीं रहा कहीं सैलाब अबकी बार.
है राष्ट्र से बड़ा* वो जहाँ पर चुनाव है,
पहले थे चाचा शेर, भतीजा है अबकी बार.
परियां तो खिलखिलाती है, सुनते थे अब तलक,
देखा उड़न-परी* को बिलखते भी अबकी बार.
वो [bo] फोर्स लग गया की वो* बाहर निकल गए,
उनका समाप्त हो गया वनवास अबकी बार.
*वैश्विक संपदा
*महाराष्ट्र
*पी.टी. उषा
*क्वात्रोची
-मंसूर अली हाशमी
Saturday, October 10, 2009
Noble Prize
नौ [२००९] में बल से हासिल!
नो[No] में वैसे ही बल नही होता,
शान्ति में; जैसे छल नही होता.
कच्चे नारयल में ये मिलेगा पर,
पक्के पत्थर में जल नहीं होता.
सच्चे साधू में मिल भी जाएगा,
हर कोई बा-अमल नही होता.
बाज़* पाए [ई ] बहुत ही सुन्दर पर,
फूल हर एक कमल नही होता.
उसके घर आज आयेंगे- युवराज!
झोंपड़ा क्यां महल नही होता?
कल न आया न आने वाला है,
आज करलो कि कल नही होता.
उसकी कीमत ज़्यादा होती है,
जिसका कोई भी दल नही होता
ऑनलाईन चलन हुआ जबसे,
मिलना अब आजकल नही होता.
अस्मिता भी चुरायी जाती है,
राज 'मन-से' बदल नही होता.
कोढ़ी-कोढ़ी* में बिक ही जाना है,
टीम-वर्क गर सफल नही होता.
ग़म मिले मुस्तकिल हजारो को,
हर कोई 'सहगल' नही होता.
*बाज़= कुछ, चंद
*कोढ़ी=२०[20-20]
-मंसूर अली हाशमी
नो[No] में वैसे ही बल नही होता,
शान्ति में; जैसे छल नही होता.
कच्चे नारयल में ये मिलेगा पर,
पक्के पत्थर में जल नहीं होता.
सच्चे साधू में मिल भी जाएगा,
हर कोई बा-अमल नही होता.
बाज़* पाए [ई ] बहुत ही सुन्दर पर,
फूल हर एक कमल नही होता.
उसके घर आज आयेंगे- युवराज!
झोंपड़ा क्यां महल नही होता?
कल न आया न आने वाला है,
आज करलो कि कल नही होता.
उसकी कीमत ज़्यादा होती है,
जिसका कोई भी दल नही होता
ऑनलाईन चलन हुआ जबसे,
मिलना अब आजकल नही होता.
अस्मिता भी चुरायी जाती है,
राज 'मन-से' बदल नही होता.
कोढ़ी-कोढ़ी* में बिक ही जाना है,
टीम-वर्क गर सफल नही होता.
ग़म मिले मुस्तकिल हजारो को,
हर कोई 'सहगल' नही होता.
*बाज़= कुछ, चंद
*कोढ़ी=२०[20-20]
-मंसूर अली हाशमी
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