Thursday, September 10, 2009

Mine Nine-Nine

9 - 9 - NO!

9--९ सुनते दिन गुजरा था,
No--No सुनते रात गुज़र गई.

खैर यही की खैर से गुजरी,
पंडित जी की जेब भी भर गई.

रस्ता काट न पाई बिल्ली,
हम सहमे तो वह भी डर गई.

काम बहुत से निपटा डाले,
काम के दिन जब छुट्टी पड़ गई.

एक सदी तक जीना होगा,
जिनकी नैना ९ से लड़ गई.

टक्कर मार के भी पछताई,
NAINO आज ये किससे भिढ़ गई.


-नन्नूर ननी नान्मी

8 comments:

Udan Tashtari said...

एकदम सटीक!!

संगीता पुरी said...

बिल्‍कुल सही !!

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत खूब!

दिनेशराय द्विवेदी said...

मियां देखा नौ का कमाल जवानी लौट के आ गई!

Mansoor ali Hashmi said...

क्र्पया ………सटीक एवम सही लगी पन्क्तियो पर टिक लगावे… अग्रिम धन्यवाद्।

अजित वडनेरकर said...

-नन्नूर ननी नान्मी

वाह क्या बात है!!!
नौ की लीला भी देखी और इधर साइड बार में चिट्ठाजगत सक्रियता क्रमांक में 1111 की महिमा देख रहा हूं।
शानदार

अनूप शुक्ल said...

शानदार!

vision2eyes@gmail.com said...

great blog keep up the good work