रिहाई के बाद- वरूण
# होश में ही बक रहा हूँ, सुन लो अब,
लाल गुदरी का हूँ, मैं लाला नही हूँ।*
* [बक रहाहूँ जुनूँ में क्या-क्या कुछ,
कुछ न समझे खुदा करे कोई।]-ग़ालिब
#- मेहरबानी वह भी कांटो पर करूँ?
पाऊँ के ग़ालिब का मैं छाला नही हूँ।*
*कांटो की ज़ुबा सूख गयी प्यास से यारब,
एक आब्ला-ए- पा रहे पुर-खार में आवे।]- ग़ालिब
-मंसूर अली हाश्मी.
Friday, April 24, 2009
Sunday, April 12, 2009
A True Lie/सच्चा झूठ
सच्चा झूठ
एक बत्ती कनेक्शन दिए है,
जिनके घर में न जलते दीये है.
चाक कपडे, फटे पाँव लेकिन,
होंठ हमने मगर सी लिए है.
हम न सुकरात बन पाए लेकिन,
ज़हर के घूँट तो पी लिए है.
सच की सूली पे चढ़ के भी देखा,
मरते-मरते मगर जी लिए है.
हाथ सूँघों हमारे ऐ लोगों,
हमरे पुरखो ने भी 'घी' पिये है.
'सच्चे-झूठो' की हमने कदर की,
'कुछ' मिला है तो 'कुछ' तो दिए है.
-मंसूर अली हाश्मी
एक बत्ती कनेक्शन दिए है,
जिनके घर में न जलते दीये है.
चाक कपडे, फटे पाँव लेकिन,
होंठ हमने मगर सी लिए है.
हम न सुकरात बन पाए लेकिन,
ज़हर के घूँट तो पी लिए है.
सच की सूली पे चढ़ के भी देखा,
मरते-मरते मगर जी लिए है.
हाथ सूँघों हमारे ऐ लोगों,
हमरे पुरखो ने भी 'घी' पिये है.
'सच्चे-झूठो' की हमने कदर की,
'कुछ' मिला है तो 'कुछ' तो दिए है.
-मंसूर अली हाश्मी
Friday, April 10, 2009
OFTEn /अक्सर
अक्सर
में अक्सर कामरेडो से मिला हूँ ,
में अक्सर नॉन -रेडो से मिला हूँ. [जिन्हें अपने ism [विचार -धारा से सरोकार नही रहा]
केसरिया को बना डाला है भगवा,
में अक्सर रंग-रेजो से मिला हूँ. [रंग-भेद/धर्म-भेद करने वाले]
मिला हूँ खादी पहने खद्दरो से,
में अक्सर डर-फरोशो से मिला हूँ. [ अल्प-संख्यकों को बहु-संख्यकों से भयाक्रांत रखने वाले]
मिला हूँ पहलवां से, लल्लुओं से,
में अक्सर खुद-फरेबो से मिला हूँ. [दिग्-भर्मित]
मिला हूँ साहबो से बाबूओ से,
में अक्सर अंग-रेजो से मिला हूँ.
न मिल पाया तो सच्चे भारती से,
वगरना हर किसी से में मिला हूँ.
*
अक्सर*= यानी बहुधा , सारे के सारे नही ! यह व्याख्या भी कानून-विदो के संगत की सीख से एहतियातन
अग्रिम ज़मानत के तौर पर कर दी है - वरना , ब्लागर डरता है क्या किसी से?
-मंसूर अली हाशमी
में अक्सर कामरेडो से मिला हूँ ,
में अक्सर नॉन -रेडो से मिला हूँ. [जिन्हें अपने ism [विचार -धारा से सरोकार नही रहा]
केसरिया को बना डाला है भगवा,
में अक्सर रंग-रेजो से मिला हूँ. [रंग-भेद/धर्म-भेद करने वाले]
मिला हूँ खादी पहने खद्दरो से,
में अक्सर डर-फरोशो से मिला हूँ. [ अल्प-संख्यकों को बहु-संख्यकों से भयाक्रांत रखने वाले]
मिला हूँ पहलवां से, लल्लुओं से,
में अक्सर खुद-फरेबो से मिला हूँ. [दिग्-भर्मित]
मिला हूँ साहबो से बाबूओ से,
में अक्सर अंग-रेजो से मिला हूँ.
न मिल पाया तो सच्चे भारती से,
वगरना हर किसी से में मिला हूँ.
*
अक्सर*= यानी बहुधा , सारे के सारे नही ! यह व्याख्या भी कानून-विदो के संगत की सीख से एहतियातन
अग्रिम ज़मानत के तौर पर कर दी है - वरना , ब्लागर डरता है क्या किसी से?
-मंसूर अली हाशमी
litrature, politics, humourous
Politics-Ideological crisis
S H O E S
उड़ती हुई गाली
निशाना चूक कर भी जीत जाना,
अजब अंदाज़ है तेरा ज़माना.
चलन वैसे रहा है ये पुराना,
मसल तब ही बनी है ''जूते खाना''.
बढ़ी है बात अब शब्दों से आगे,
अरे Sir ! अपने सिर को तो बचाना.
कभी थे ताज ज़ीनत म्यूजियम की,
अभी जूतों का भी देखा सजाना.
कभी इज्ज़त से पहनाते थे जिसको#,
बढ़ी रफ़्तार तो सीखा उडाना.
शरम से पानी हो जाते थे पहले,
अभी तो हमने देखा मुस्कुराना.
# जूतों का हार बना कर
-मंसूर अली हाशमी
litrature, politics, humourous
Dirty Politics
Thursday, April 2, 2009
One Over
एक ओव्हर {यानि ६ अलग-अलग बोल}
१-तब गलत बोल बुरे होते थे,
अब गलत ball बड़े होते है,
२-तब 'पलट बोल' के बच जाते थे,
अब तो '' पलटे '' को छका [sixer] देते है .
३-अब तो बोलो की कदर ही क्या है,
तब तो सिर* पर भी बिठा लेते थे.
४-बोल - noBall में घटती दूरी,
जैसे गूंगो के बयाँ होते है.
५-तारे* बोले तो ग्रह [वरुण] चुप क्यों रहे?
घर के बाहर भी गृह [cell] होते है.
६-dead बोलो पे भी run-out* है,
थर्ड अम्पायर [तीसरा खंबा]* कहाँ होते है?
*[नरीमन कांट्रेक्टर-इंडियन कैप्टेन]
* बड़े नेता
* बच निकलना
*न्याय-पालिका
मंसूर अली हाशमी
१-तब गलत बोल बुरे होते थे,
अब गलत ball बड़े होते है,
२-तब 'पलट बोल' के बच जाते थे,
अब तो '' पलटे '' को छका [sixer] देते है .
३-अब तो बोलो की कदर ही क्या है,
तब तो सिर* पर भी बिठा लेते थे.
४-बोल - noBall में घटती दूरी,
जैसे गूंगो के बयाँ होते है.
५-तारे* बोले तो ग्रह [वरुण] चुप क्यों रहे?
घर के बाहर भी गृह [cell] होते है.
६-dead बोलो पे भी run-out* है,
थर्ड अम्पायर [तीसरा खंबा]* कहाँ होते है?
*[नरीमन कांट्रेक्टर-इंडियन कैप्टेन]
* बड़े नेता
* बच निकलना
*न्याय-पालिका
मंसूर अली हाशमी
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