अब गिनती करना है......
अजित वडनेरकर जी की आज की पोस्ट 'पशु गणना से.चुनाव तक' .....से प्रभावित हो कर:-
बोल घड़े में डाल चुके अब गिनती करना है ,
पोल खुलेगी जल्दी ही, अब गिनती करना है.
सब ही सिर वाले तो सरदार बनेगा कौन?
दार पे चढ़ने वालों की अब गिनती करना है.
एम् .पी. बन के हर कोई उल्टा [p.m.] होना चाहें,
किसकी लगती वाट, अब गिनती करना है.
जल धरती का सूख रहा, हम बौनी कर बैठे!
फसल पे कितने हाथ? अब गिनती करना है.
देख लिया कंधार , अब अफज़ल को देख रहे,
दया - धरम फिर साथ?, अब गिनती करना है!!!
-मंसूर अली हाश्मी
अजित वडनेरकर जी की आज की पोस्ट 'पशु गणना से.चुनाव तक' .....से प्रभावित हो कर:-
बोल घड़े में डाल चुके अब गिनती करना है ,
पोल खुलेगी जल्दी ही, अब गिनती करना है.
सब ही सिर वाले तो सरदार बनेगा कौन?
दार पे चढ़ने वालों की अब गिनती करना है.
एम् .पी. बन के हर कोई उल्टा [p.m.] होना चाहें,
किसकी लगती वाट, अब गिनती करना है.
जल धरती का सूख रहा, हम बौनी कर बैठे!
फसल पे कितने हाथ? अब गिनती करना है.
देख लिया कंधार , अब अफज़ल को देख रहे,
दया - धरम फिर साथ?, अब गिनती करना है!!!
-मंसूर अली हाश्मी
4 comments:
वाह साहब बहुत ख़ूब
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चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें
सामयिक रचना है, हाश्मी जी बधाई!
निराले तेवर हैं जानब के!
बढ़िया।
गिनती के बाद ही तो आने वाला है मजा।
घुघूती बासूती
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