Sunday, December 29, 2013

हम 'Mars' पे बैठे हुए धरती को तकेंगे !




हम 'Mars' पे बैठे हुए धरती को तकेंगे !

लड़को का ब्याह लड़को से ठहराएंगे जायज़ 
जनसँख्या पे कण्ट्रोल अब इस तरह करेंगे !

दूल्हा कभी दुल्हन बने, दुल्हन कभी दूल्हा !
अब दहेज़ की खातिर वो, जलेंगे न मरेंगे। 

अब बच्चो की खातिर न तलाक़ होवेंगे उनमें 
क़ाज़ी जी को फुर्सत हुई, सर्द आह भरेंगे 

बच्चे नज़र आयेंगे न अब निस्फ़ सदी बाद 
किलकारियों के बदले तब "ताली" ही सुनेंगे !

'गर्भों' का कष्ट होगा न औलाद का सुख-दुख 
'intake' जैसा होगा, वैसा ही 'हगेंगे'

तब आधी सदी बाद ये मरदाना-ज़नाने,
गायेंगे! , बजायेंगे!! या फरयाद!!! करेंगे ?
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.  -- mansoor ali hashmi    

Wednesday, December 25, 2013

दर पे अपने आज फिर इक थाप है !








दर पे अपने आज फिर इक थाप है !

ज़िक्र जिसका 'आम' है वो 'आप' है 
रिश्वतों का लेना-देना पाप है !

'ईश्वर' को भूल बैठे लोग याँ 
'आसुमल'* का कर रहे अब जाप है।        *आसारामो का 

आंकड़ो की उलझनो में क्यों पड़े 
आजकल परफेक्ट ! 'ज़ीरो' नाप है। 

फैसलो पर लग रहे है प्रश्न-चिन्ह?
कोर्ट है, पंचायते है, 'खाप' है  

दोस्तों की अब ज़रूरत ही कहाँ ?
पाल रक्खे आस्तीं में सांप है। 

टी वी चैनल, ख़बरें हो या कि ब्लॉग, 
'आप' है, बस आप है, बस आप है !

सारे 'घपलो' की थी माँ 'बोफोर्स' गर,
'ज़िंक'* को क्या मान ले कि बाप है ?           *हिंदुस्तान जिंक scam

'Tea"  के कप में आ गया है गर उबाल,
उसकी मंज़िल तो यक़ीनन टॉप है !

--mansoor ali hashmi 

Monday, December 23, 2013

'waal' पर लिक्खा हुआ अब 'केजरी' पढ़ना पड़ा !





'waal' पर लिक्खा हुआ अब 'केजरी' पढ़ना पड़ा !

'आप' को आना पड़ेगा; आप को आना पड़ा 
'भ्रष्ट' थे 'आचार' जिनके; उनको तो जाना पड़ा। 

वस्तुएं महंगी हुई, ईमान जब सस्ता हुआ ,
सेब सस्ता प्याज़ से होना बड़ा महंगा पड़ा !

'हाथ' को मलते हुए ; मुरझाते देखा 'फूल'* को         *कमल 
भाग्य में बिल्ली के छीका, दिल्ली में, टूटा, पड़ा!
-Mansoor ali Hashmi
http://mansooralihashmi.blogspot.in

Saturday, December 21, 2013

पा के मंज़िल क्यों भटकने लगे लोग !


पा के मंज़िल क्यों भटकने लगे लोग !

बारी आयी तो जिझकने लगे लोग 
अस्प* की तरह बिदकने लगे लोग       *घोड़ा 

जीत से पहले बहुत थिरके थे !
जीत के बाद बिखरने लगे लोग 

'टोपी' गांधी से भी 'अन्ना' से भी ली
बात से उनकी पलटने लगे लोग 

'दिल्ली' पर लपके थे बिल्ली की तरह 
बनके मूषक क्यों दुबकने लगे लोग ?

'मत' का फिर 'दान' न मिल पाया तो ? 
आप-ही-आप बदलने लगे लोग।  

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-- mansoor ali hashmi   

Sunday, December 15, 2013

गुफ़्तगु……!

         

         गुफ़्तगु……Leaks!

केजरीवाल:   "सर, कार के लिए, हमें लाइसेंस चाहिए। "

राहुल:         " हाज़िर है मेरी कार, अजी बैठ जाईये। "

केजरीवाल:    "वैसे तो पा-प्यादा ही चलने कि खू* हमें            *आदत 
                  बैठे भी कभी गर है, तो अनशन ही पे बैठे !"
    
                  "फिर भी है अगर ज़िद तुम्हे, शर्तें करो पूरी 
                   दिल (ली) वालों की हसरत नही रह जाए अधूरी। "

राहुल:           "लाये है 'लोकपाल' हम, ख़ातिर ही तुम्हारे,
                   न भी नहीं कह पाये अब 'अण्णा' भी बिचारे। "

                   " तेरह-दिनी सरकार* पे, हम ही थे मेहरबाँ    *बाजपाई जी की 
                    चौदह* के लिए ढूँढ रहे है कोई (बे) चारा !"          *२०१४ 

 -- mansoor ali hashmi 
http://mansooralihashmi.blogspot.in    खंडित जनादेश
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Wednesday, December 11, 2013

फ़िल्म तो 'आप' की खूब झक्कास है !



फ़िल्म तो 'आप' की खूब झक्कास है !

बनके झाड़ू सफाई करी 'आप' ने 
उसको संबल मिला है तो इक 'हाथ' से !

परिभाषित नए शब्द होने लगे,
'आप' कहते है कि 'आम' ही 'ख़ास' है। 

कौन कहता है ,"दिल्ली बहुत दूर है"?
आपके पास है, 'आप' के पास है। 

'पंजा' बेदम ! 'कमल' भी बिखर जाएगा 
उनके वि'शवास'* को तो ये विशवास है।      *कुमार विशवास 

अब तो 'अण्णा' भी कायल हुए 'आप' के 
'बाबा राहुल' ने भी कर दिया पास है। 

-Mansoor ali Hashmi

Sunday, November 3, 2013

दुआ












यह 'दुआ' रूपी दीप 'सुबीर संवाद सेवा '  http://subeerin.blogspot.in/2013/11/blog-post.html#links   पर भी जला है :


दीपो के पर्व  दीपावली पर  हार्दिक बधाई एवं शुभ  कामनाएं।

-mansoor ali hashmi













Sunday, October 27, 2013

आपको मुझसे कोई हाजत है ?



आपको मुझसे कोई हाजत है ?

थूक कर चाटने की आदत है, 

बस यही आज की सियासत है !

ख़ूब लम्बे सफ़र पे निकला है,
जिसको कुर्सी की ख़ूब चाहत है.

यूं तो सस्ता बहुत नहीं लेकिन,
माल से ज़्यादा उसकी लागत है.

पस्त इस वास्ते मुसलमाँ है,
मुफ्लिसी, साथ में जहालत* है.           *[अशिक्षा]

अज़्मो-हिम्मत, यकीं-ओ-ख़ुद्दारी,
कामयाबी की ये ज़मानत है. 

-Mansoor ali Hashmi

ग़ज़ल

ग़ज़ल 

संस्कारों की ये विरासत है,
ये मेरा देश है, ये भारत है. 

पैकरे हुस्न है कि आफत है ?
क्या बुलंद उसका क़द्दो-क़ामत है!

मैं, कि शौरीदा सर, गिरफ्ते बला 
उसकी आँखों में बस शरारत है. 

काम शैतान ही के करता है,
फिर भी शैतान ही पे लानत है !

जब भी पढता है, बे-क़रार करे,
है वो 'इन्दौरी' नाम 'राहत' है. 

लफ्ज़ के जोड़-तौड़ में माहिर,
'हाशमी' ही की ये रिवायत है. 

--mansoor ali hashmi 

Tuesday, October 15, 2013

क्या करे !

मॉडर्न हो गए है अब, भगवान् क्या करे!
उनके भी दिल में होते है अरमान क्या करे !!

बेताब हिरनियाँ जो हुई है शिकार को,
अब आप ही बताइये, 'सलमान' क्या करे ?

'रावण' ही अपनी लंका को बैठे लगाए आग,
"प्रभु, बताओ, अब ये हनुमान क्या करे ?"

'आसा' को मिले 'राम' न 'साई' को 'नरायण' ,
अधबीच ही उनको मिल गया शैतान क्या करे!

पैदल ही नापते थे कि गड्डो भरी सड़क,
तिस पर भी बन गया है ये 'चालान' क्या करे. 

बेटे विदेश, बेटियाँ ससुराल चल गयी,
सूने पड़े हुए है ये दालान क्या करे ! 

अग्नि 'उदर' की चूल्हा न घर का जला सकी,
'हाकिम', कि हो रहे है परेशान क्या करे. 

'मंसूर' दूर-दूर तलक जा के आ गया,
सब लोग ही मिले उसे अनजान क्या करे !


--mansoor ali hashmi