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Sunday, October 16, 2011

Silent Cry !


शौरे खमोशा !
   'येद्दु' Indoor, 'रथ'  है outdoor,
      एक इस छोर , एक है उस छोर,
      गाड़ी आगे बढ़े तो अब कैसे ?  
      दोनो जानिब ही लग रहा है ज़ोर !



   'अन्ना' खामोश, 'आडवानी' मुखर,
     एक बैठे है, एक मह्वे सफर,
     इक* पिटे, दूजे* को भी; लगता डर,
     आई 'आज़ान' अल्लाहो-अकबर !  

 * प्रशान्त भूषण,  * केजरीवाल



Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
-Mansoor ali Hashmi

Monday, September 12, 2011

SILENT CRY


जब भी बोला है सच ही बोला है!

मुंह नहीं उसने अपना खोला है,

उसका चुप रहना ही तो ‘बोला’ है.

दर्द दुनिया का भर लिया दिल में,

हाथ में उसके खाली झोला है.

खाताधारी ‘Swiss’ का बन बैठा,

रत्ती,माशा कभी था, ‘तोला’ है.

आबे ज़मज़म न गंगा जल की तलब,

हाथ में अब तो कोका कोला है.

‘वो’ किसी और को, कोई ‘उसको’,

ठोंकता है सलाम- ‘ठोला’ है. 

मुफ्त का माल, बे रहम हो जा,

फ़िक्र क्या करना? हाजमोला है!

क्यों रसन, दार पर सजी फिर से,

सच ये फिर आज कौन बोला है ?

दोनों जानिब नज़र वो आता है,

झूलता रहता है हिंडोला है !

इन्किलाब अब तो यूं भी आते है,

बन गयी जब भी भीड़ ‘टोला’ है.


 --mansoor ali hashmi