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Tuesday, March 23, 2010

कुछ तो है नाम में!

कुछ तो है नाम में!
 
नाम से धाम* जुड़े उससे तो पहचान मिले,
नाम से काम जो जुड़ जाये तो सम्मान मिले,
 
श्री बन जाये मति उसको श्रीमान मिले.
'काम' हो जाये सफल उससे तो संतान मिले.
 
मिलते-मिलते ही मिला करती है शोहरत यारों,
नाम ऊंचा उठे; 'स्वर्गीय' जो उपनाम मिले.
 
नाम बदले  से बदल जाती है तकदीर भी क्या?
भूल* कर बैठे तो 'बाबा' से क्यों इनआम मिले!
 
नाम बदनाम भी होते हुए  देखे  हमने,
ख़ाक होते हुए इंसानों के अरमान मिले.
 
*धाम=स्थान
* भूल= CST को  VT कहने  की
-मंसूर अली हाश्मी
http://aatm-manthan.com

Sunday, March 21, 2010

पड्ताल/INVESTIGATION

पड्ताल/INVESTIGATION



नाम मे रखा क्या है!

कौन तू बता क्या है?


’मन’ है तू सही लेकिन,

’सुर’ मे ये छुपा क्या है.


कौन है तेरा मालिक?

सब का वो खुदा क्या है!


त्रिशूल, चान्द या क्रास,

हाथ पे गुदा क्या है?




फ़िर से तू विचार ले,

नाम से बुरा क्या है.




धर्म से भला है कुछ,

धर्म से बुरा क्या है?


-मन सुर अली हाशमी


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