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Friday, August 16, 2013

जो 'मीठा' तो गप-गप, है 'थूं-थूं जो 'खट्टा !


जो 'मीठा' तो गप-गप, है 'थूं-थूं जो 'खट्टा !   

ये 'मोदी' ने फेंका* है 'पंजे' पे छक्का,          *PM  के भाषण पर 
कोई कहता कच्चा, कोई कहता पक्का . 

है 'वाचाल' कोई तो 'खामोश' बच्चा !
है 'उद्दंडता' कि जमा खूँ का 'थक्का' ?

बने आज का दिन* पुनर्जन्म जैसा,         *[स्वतंत्रता-दिवस वर्षगाँठ]
सलामत रहे , या ख़ुदा, ज़च्चा-बच्चा.  

न 'शिक्षा' न 'संस्कार' की है ज़रूरत,
वही जीतता है, जो है हट्टा-कट्टा !

'खनन' पर, 'ज़मीं' पर तो 'दंगो' को लेकर,
'सदन' में तो जारी है बस लट्ठम-लट्ठा !

'फुद्बिल', एफडीआई, 'नारी आरक्षण',
अभी पक  रहे है, न रह जाये कच्चा !  

लदे तो है 'बेलो'* पे अंगूर ढेरों ,           *[आगामी चुनाव रूपी]
मिले तो है मीठे, न पाए तो खट्टा . 

ये है लोक-तंतर, बुरा न लगाना, 
जो कहदे तुम्हे कोई 'उल्लू' का पट्ठा !   

--mansoor ali hashmi