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Friday, June 24, 2011

Reincarnation !!!


हड़बड़ी ही हड़बड़ी !


फिर जनम होगा - न होगा बात जब ये चल पड़ी,*   
सौ ब्लॉगर कूद आये, मच गयी है हड़बड़ी .

'आस्तिक' की बात को लेकर परीशाँ  'नास्तिक,
एक को दूजे में दिखने लग गयी है गड़बड़ी.

'मुस्कराहट' मुझको अपनी इस तरह महँगी पड़ी,
दाँत चमकाने कि ख़ातिर COLGATE लेनी पड़ी.  

पासपोर्ट बनवाना भी मुझको बहुत महंगा पड़ा ,
शाला से थाने तलक जब रिश्वते देनी पड़ी !

दोस्तों 'टिप्याना' भी मुझको तो रास आया नहीं,
कितनी ही कविताए मैरी आज तक सूनी पड़ी.

चित्र अपने ब्लॉग पर तकलीफ का बाईस बना,
याद 'दादा जान' आये, देखी जब दाढ़ी मैरी !

खूबसूरत लेख था, सूरत से लगती जलपरी,
कद्दू से मोटी वो निकली, लगती थी जो फुलझड़ी. 


* http://zealzen.blogspot.com/2011/06/blog-post_22.html?showComment=1308888740834#c3518290395088571464
 

mansoor ali hashmi