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Thursday, February 27, 2014

कुछ काम कर अक़ल का !







कुछ काम कर अक़ल का !

आ फायदा उठाले, मौसम है 'दल-बदल' का,
'फड़ ले'* तू आज 'थैली', क्या है भरोसा कल का।       *[पकड़ ले ]

'सायकल' हुई है पंक्चर, कम तैल 'लालटेन' में,
अब देखे ज़ोर  चलता, 'पंजे' का या 'कमल' का। 

जब मुफ्त मिल रहा था नाहया-निहलाया सबको,
टोंटी /टोपी बदल गयी अब, क्या है भरोसा नल का। 

बारह महीने अब तो बरसात हो रही है,
फिर किसलिए यहाँ पर होता अभाव जल का ?

'त्रिशंकु' अबकि 'संसद' बनती हुई सी लगती,
आ जाए न ज़माना , फिर से उथल-पुथल का। 

'बच्चे' तो 'पांच' अच्छे, खुशहाल हो के भूखे,
'गिनती' में बढ़ न जाए, कोई अगल-बग़ल का !

सामान कर लिया है, सौ-सौ बरस का हमने, 
ये जानते हुए भी , कुछ न भरोसा पल का। 
--mansoor ali hashmi 

Saturday, August 17, 2013

हमने तो ये देखा है !


[सभी ब्लॉगर साथियों एवं देश वासियों को रक्षाबंधन के पवित्र पर्व की हार्दिक बधाई]
हमने तो ये देखा है !

गड़बड़ का अंदेशा है,
रुत का ये संदेशा है. 

बिकने* को तैय्यार है ये,                        *[ Horse Trading]
राजनीत इक पेशा है. 

'रूप' इसका क'या' खोटा है?
'गिरता' क्यों हमेशा है !   









'बुक' जब 'फेस' हुवा है तो 
क्यों ये ज़ुल्फ़ परेशा है !

'बंधन' जो है 'रक्षा' का,
एक सूत का रेशा है. 







 

'जूए शीर'* ये लाएगा,                     *[दूध की नहर]  
कोहकनी* ये तेशा* है.

*कोहकनी = फरहाद का , 
* तेशा = बढ़ई का औज़ार    

Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.
--mansoor ali hashmi 

Friday, March 23, 2012

परीक्षा .....चरवाहे की !


परीक्षा .....चरवाहे की !
आज [२३-०३-२०१२] के समाचार पत्रों से प्रेरित.....




# अपनी 'भेड़ो' को हांक लाये है,
'पर्वतो' से ये भाग आये है.
# भेड़े वैसे तो शोर करती नहीं,
फिर भी 'गुपचुप' हंकाल लाये है.
# 'ऊन' है, 'दूध-ओ-गोश्त' है  इनमे,
इस लिए तो ये दिल लुभाए है. 



# 'भेड़े' बनकर न 'घोड़े' बिक जाए,
खौफ़ इनको यही सताए है.
# 'चारागाह' और भी है 'चरवाहे',
मुफ्त का 'चारा' सब को भाये है.
# 'पंजा' बालो को नोच ले न कहीं,
'संघ' के आश्रय में लाये है,
# खौफ़ है बेवफाई का इनसे !
यूं 'महाकाल' याद आये है !!
 --mansoor ali hashmi