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Friday, June 17, 2011

Fasting...!


अनशन ही अनशन 

सच की पगड़ी हो रही नीलाम है,
'भ्रष्ट' को अब मिल रहा इनआम है.

अब 'सियासत' अनशनो का नाम है,
देश से मतलब किसे! क्या काम है?

तौड़ कर अनशन भी शोहरत पा गया ,
एक* मर कर भी रहा गुमनाम है!          [*निगमानंद]

दूसरे अनशन की तैयारी करो,
गर्म 'लोहे' का यही पैग़ाम है.

'अन्शनी' में सनसनी तो है बहुत,
'फुसफुसा' लेकिन मगर अंजाम है. 

'आग्रह सच्चाई का'  करते रहो,
झूठ तो, नाकाम है-नाकाम है.

स्वार्थ को ऊपर रखे जो देश के,
दूर से उनको मेरा प्रणाम है.

-- मंसूर अली हाश्मी 

Wednesday, December 31, 2008

Foul Player

अनाड़ी-खिलाड़ी

जंग अब भी जारी है,
जूतम-पैजारी है।


कारगिल से बच निकले,
किस्मत की यारी है।

खेल कर चुके वह तो,
अब हमारी बारी है।

एल,ई,टी ; जे-हा-दी,
किस-किस से यारी है?


मज़हब न ईमाँ है,
केवल संसारी है।


सिक्के सब खोटे है,
कैसे ज़रदारी है?


पूरब तो खो बैठे,
पश्चिम की बारी है!


-मन्सूर अली हशमी