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Monday, September 29, 2014

गुफ्तगु.......

गुफ्तगु....... 
 [Raag Bhopali  से प्रेरित  .... अजित वडनेरकर जी की चर्चा को "गुफ्तगू" में परिवर्तित करने की कौशिश ]

(टी  .  वी  . एंकर:  -  पाकी नुमाइंदे  के दरम्यान )

T.V.  :  आदाब, भाई जान, वतन के है हाल क्या?

पाकी   :  प्रणाम भैय्या, आप से बेहतर है कुछ ज़रा। 

T . V . : करते है क्यूँ मुदाख़िलत कश्मीर में जनाब ?

पाकी     :  सुंदरता उसकी देख के निय्यत हुई ख़राब। 

T . V .  :   छोड़ो मज़ाक, कैसे 'बिलावल' है भाई जान  ?

पाकी     :   "एक-इंच" भूमि दे दो, है भारत बड़ा महान। 

T . V.   :    'अल-क़ाइदा' से दोस्ती, है अब भी बरक़रार  ?

पाकी      :    एक यह ही प्रश्न हम से क्यों पूछो हो बार-बार ?

T.  V.    :    'हाफ़िज़ सईद' साब , गिरफ्तार क्यों नही ?

पाकी      :    'गुजरात दंगा' केस की रफ़्तार क्यों थमी ?

T.  V.    :    वक़्ते break, कॉफ़ी का अब ले ले कुछ मज़ा !

पाकी      :    अजी, इसके ही वास्ते तो, हम आते है इंडिया !

-मंसूर अली हाश्मी