Sunday, October 27, 2013

आपको मुझसे कोई हाजत है ?



आपको मुझसे कोई हाजत है ?

थूक कर चाटने की आदत है, 

बस यही आज की सियासत है !

ख़ूब लम्बे सफ़र पे निकला है,
जिसको कुर्सी की ख़ूब चाहत है.

यूं तो सस्ता बहुत नहीं लेकिन,
माल से ज़्यादा उसकी लागत है.

पस्त इस वास्ते मुसलमाँ है,
मुफ्लिसी, साथ में जहालत* है.           *[अशिक्षा]

अज़्मो-हिम्मत, यकीं-ओ-ख़ुद्दारी,
कामयाबी की ये ज़मानत है. 

-Mansoor ali Hashmi

ग़ज़ल

ग़ज़ल 

संस्कारों की ये विरासत है,
ये मेरा देश है, ये भारत है. 

पैकरे हुस्न है कि आफत है ?
क्या बुलंद उसका क़द्दो-क़ामत है!

मैं, कि शौरीदा सर, गिरफ्ते बला 
उसकी आँखों में बस शरारत है. 

काम शैतान ही के करता है,
फिर भी शैतान ही पे लानत है !

जब भी पढता है, बे-क़रार करे,
है वो 'इन्दौरी' नाम 'राहत' है. 

लफ्ज़ के जोड़-तौड़ में माहिर,
'हाशमी' ही की ये रिवायत है. 

--mansoor ali hashmi 

Tuesday, October 15, 2013

क्या करे !

मॉडर्न हो गए है अब, भगवान् क्या करे!
उनके भी दिल में होते है अरमान क्या करे !!

बेताब हिरनियाँ जो हुई है शिकार को,
अब आप ही बताइये, 'सलमान' क्या करे ?

'रावण' ही अपनी लंका को बैठे लगाए आग,
"प्रभु, बताओ, अब ये हनुमान क्या करे ?"

'आसा' को मिले 'राम' न 'साई' को 'नरायण' ,
अधबीच ही उनको मिल गया शैतान क्या करे!

पैदल ही नापते थे कि गड्डो भरी सड़क,
तिस पर भी बन गया है ये 'चालान' क्या करे. 

बेटे विदेश, बेटियाँ ससुराल चल गयी,
सूने पड़े हुए है ये दालान क्या करे ! 

अग्नि 'उदर' की चूल्हा न घर का जला सकी,
'हाकिम', कि हो रहे है परेशान क्या करे. 

'मंसूर' दूर-दूर तलक जा के आ गया,
सब लोग ही मिले उसे अनजान क्या करे !


--mansoor ali hashmi 

Saturday, October 12, 2013

संभावनाएं……. Possibilities !






संभावनाएं……. 


हर क़दम पर गुनाह के इमकान,
'नेकियों' के भी है बहुत सामान.  

क़समें खाना हुआ बड़ा आसान,
थूंक देते है जैसे खाकर पान. 

कितना नज़दीक है ख़ुदा तेरा,
ढूँढता फिर रहा है, तू नादान !

चार अनासिर* से है वजूद तेरा,            *[तत्वों]
चार ही दिन का, तू भी है मेह्मान.

ख्वाहिशो का हुजूम, तू तनहा,
कम नहीं हो रहे तिरे अरमान.   

'साम्पर्दायिक' नहीं है 'बालीवुड',
'ह्रितिक' अकबर, अशोका बनते 'खान'.

मयक़दों में तो शौर है बरपा,

धर्मस्थल क्यों हो रहे वीरान ?

"फ़ैल 'फेलिन'* हो", ये दुआ लब पर,        *[Phailin Cyclone]        
डूब दरिया में जाए, ये तूफ़ान. 










बापू'* भगवान् भी, पति भी बने,          *[निराशाराम]
देख-सुन हो रहा हूँ मैं हैरान ! 

नर ही को मान बैठे 'नारायण'*,                *[साईं नारायण]
वो जो 'कामी' भी, धूर्त भी, शैतान! 

'बाप' ही  ने 'जड़ी' खिलायी थी,
'बेटा' उससे हुआ अधिक बलवान.



अब तो 'मुक्ति' खरीद ही लेंगे,


धर्म वालो ने खोल ली दूकान !



'सूद' , उपकार ऐसे बन जाता, 
ले के, करते जो दूसरो को दान !

पेट भरने को काफी 'बत्तीसा'*    
हुक्मरानों ने कर दिया फरमान। 
*[३२ रूपये/  ज़च्गी के वक़्त खिलाये जाने वाली पौष्टिक खुराक]

जाटो-मुस्लिम में  खिंच गयी तलवार,
कौन* चढ़ता है देखो अब परवान ?           *[कौनसी राजनितिक पार्टी] 

'फेसबुक' पर दिखे, मिले जब तो,
ईद से क़ब्ल ही हुए कुर्बान ! 

है 'दशहरा', दिवाली की आमद,
तान दो 'रावणों' पे फिर से बाण. 

पहले 'लिखने' से भी थे डरते लोग,
अब तो 'छपना' भी हो गया आसान।

बात पढ़ने-पढ़ाने की मत कर,
Paste कर काट के कोई अन्जान.

'हाश्मी', बस भी अब करो यारां,
पढ़ने वालो को मत करो हल्क़ान। 
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture. 
                 
- mansoor ali hashmi