Friday, February 24, 2012

पढ़ न सके तो 'वाह' तो देते ही जाईये !

पढ़ न सके तो 'वाह' तो देते ही जाईये !


'थप्पड़' से काम न चले, 'घूंसा' लगाईये,
गर है 'प्रिंस' गुस्सा तो आना ही चाहिए.

हासिल न जीत हो सके, लख कोशिशो के बाद,
फर्जी बयानबाजी के छक्के लगाईये.

बल्ले से रन, न बोल से चटके विकेट जब,

क्रिकेट छोड़कर के कबूतर उड़ाईये.

अनशन हो कारगर, न ही भाषण से लाभ हो,
हरिद्वार जाके चैन की बंसी बजाईए.

सब्जेक्ट 'dull' हो टाईटल भड़कीला दीजिए,
नुस्खा ये कारगर है, ज़रा आजमाईये .

होली पे गालियों का मज़ा और ही है कुछ,
एकाध पोस्ट आके ज़रा ठेल जाईये.


Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. 
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
mansoor ali hashmi

-mansoor ali hashmi 

12 comments:

अजित वडनेरकर said...

वाह वाह...
हम तो कमेंट ही ठेल सकते हैं जी..

विष्णु बैरागी said...

कहते हैं खूब हाशमी अपने अन्‍दाज में
खुद न कह सकें, उन्‍हीं से काम चलाइए

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.


उकता चुके हों जो भी इस-उस ब्लॉग पर जा'कर
उनसे यही कहना है मंसूर चचा की महफ़िल में चले आइए


:)
जवाब नहीं है आपका वाह ! वाऽऽह ! व्वाऽऽऽह !

हार्दिक शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

ghughutibasuti said...

:)
घुघूतीबासूती

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत खूब।

Udan Tashtari said...

वाह तो ले ही लें..देते जा रहे हैं.

आपका अख्तर खान अकेला said...

mansoor bhaai sikh to achchhi hai lekin ise hm maane yaa nhin btaaiye pliz .....akhtar khan akela kota rajsthan

नीरज गोस्वामी said...

मंसूर भाई पहली 'वाह' पढ़' सकने पर और दूसरी 'वाह' न पढ़ सकने पर कबूल करें...दोनों करेंगे तो वाह वाह हो जाएगी...कमाल लिखा है आपने...वाह के साथ दाद भी कबूल करें

नीरज

ishwar khandeliya said...

क्या बात है आपकी साहब

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

Mood aur maahaul holi ka bana diya aapne. Ab Post bhee thelenge :)

Gyan Dutt Pandey said...

बरबस मुस्कान आ जाती है पढ़ने पर। वाह!

saif jamdar said...

wah wah kya baat hai