Saturday, May 21, 2011

2 G SPECTRUM


2 G स्पेक्ट्रम 


'कनी' - मोझी, मोड़ी भी, मोई कहाए,
'triple'  नाम पाए; 'तिहाड़ी'' को जाए,
बहुत अपने 'पापा' से इनआम पाए,
फिर इक दिन वो सारे के सारे गंवाए, 
थी 'राजा' की सत्ता तो 'बलवा' भी भाए
पुरी संग सब मिलके हलवा भी खाए,
अब आटे में घाटा है क्या दिन ये आए,
जो भरना है पेट अब,तो चक्की चलाए!!!

-Mansoor ali hashmi

10 comments:

विष्णु बैरागी said...

आपने बिलकुल ठीक कहा हाशमीजी। पुराने लोग कह गए हैं -

पाप छुपाए न छुपे, छपे तो मोटा भाग।
दाबी-दूबी न रहे, रूई लपेटी आग।।

दिनेशराय द्विवेदी said...

इक दिन ऐसो आएगो मैं पीसूंगी तोय।

BrijmohanShrivastava said...

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा
जो जस करइ सो तो फल चाखा

Anonymous said...

वाह...



अजित
http://shabdavali.blogspot.com/
मोबाइल-0942501232

मदन शर्मा said...

बहुत सही कहा है आपने ...
जैसी करनी वैसी भरनी, जो बोवोगे वही काटोगे
चाहे जितना भी आकाश में उड़ लो
लौट के तो भैया यहीं आओगे !!

ZEAL said...

Beautiful satire !

Vivek Jain said...

wah...
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

ZEAL said...

Your wisdom and intellect is very well reflected in your comment on my post . I admire your sense of humour as well. Thanks once again.

virendra sharma said...

छा गए भाईजान !आपतो -जैसी करनी ,पार उतरनी .किसी ने ऐसे ही नहीं खा था -जो तोकू काँटा बुवे वाई को बोय तू फूल ,तो कू फूल के फूल हैं वा कू हैं तिरशूल .

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत खूब कहते हैं आप।

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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्‍या दोगे प्‍यार की परिभाषा?