Saturday, March 26, 2011

कुंबा है मेरा देश, मैं सरदार इसका हूँ!


कुंबा है मेरा देश, मैं सरदार इसका हूँ!

घोटाला हो गया है? मुझे कुछ पता नही !
पैमाना भर गया है? मुझे कुछ पता नही !

लाखो करोड़ कम है? कुछ और लिजीयेगा!
खाली हुआ खज़ाना ? मुझे कुछ पता नही !

कुछ 'LEAK'  हो गया है,कुछ और 'LEAK' होगा.
टपके गा कौन अबकी  ? मुझे कुछ पता नही !

अब 'चि' भी बोल उठे है, "उत्तर नहीं पसंद",
'उसका निजी ख्याल' , मुझे कुछ पता नही ! 

'बाबा' को दिख रहा है; 'काला' क्यूँ हर तरफ?
'बा' से करो सवाल, मुझे कुछ पता नही !



अब 'जेटली' की केटली में आ रहा उबाल,
"मौक़ा परस्ती" क्या है? मुझे कुछ पता नही! 

मंसूर अली  हाश्मी 

5 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

कमाल कर दिया जनाब!
इस रचना की सब से वजनदार पंक्ति है यह...

पैमाना भर गया है? मुझे कुछ पता नही !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

करारा करारा :)

Udan Tashtari said...

बहुत सटीक!

नीरज गोस्वामी said...

हुज़ूर आपको नहीं तो फिर किसे पता होगा...:-) बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें

नीरज

उम्मतें said...

वैसे जिन्हें पता है वे भी मौकापरस्ती दिखाते हुए मुकर गये हैं :)