Sunday, August 15, 2010

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मैरी..

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मैरी..


सुलभ जायसवाल की तमन्नाएं ..... "आज़ाद वतन में मुझको आज़ाद घर चाहिए"

पढ़कर , उनके लिए ये दुआइय कलेमात  पेश है:-
[ स्वतंत्रता दिवस पर सभी ब्लॉगर साथियों और देश वासियों को हार्दिक  बधाईयाँ]

शहरे आज़ाद में तुम को घर भी मिले,
घर मिले, साथ में तुमको वर* भी मिले.  [*जोड़ी] 
बे ख़तर  जो हो, वह रहगुज़र भी मिले,
द्वार पर राह तकती नज़र भी मिले.
गूँजे घंटी जहाँ साथ आज़ान के,
कारोबारी वहां हर बशर भी मिले.

हुक्मराँ  हो वफादार अब देश में,
हाथ में हो तिरंगा जिधर भी मिले.
mansoorali hashmi

4 comments:

डॉ० डंडा लखनवी said...

आपने बहुत उम्दा पोस्ट लगाई|
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई॥
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

दिनेशराय द्विवेदी said...

आजादी के पर्व पर शुभाकामनाएँ!

Udan Tashtari said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई॥

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदर विचार व उतना ही सुंदर प्रकटीकरण.