Thursday, December 31, 2009

रुचिका की फ़रियाद

दुहाई!




'रू' 'ची'त्का'र कर रही अब तक,
'रा' को
पहुंचादो उसके 'ठौर' तलक.
अबतो इन्साफ की दुहाई है,
मसअले कितने ऐसे  गौर तलब  ? 

-मंसूर अली हाशमी 

4 comments:

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

सर जी, आपने चार लाइन में पूरी दास्ताँ कह दी है.

नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
- सुलभ जायसवाल सतरंगी

संगीता पुरी said...

नया वर्ष आपके लिए मंगलमय हो !!

परमजीत सिहँ बाली said...

आप ने चंद शब्दो मे बहुत कुछ कह दिया।

आपको व आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी