Saturday, November 7, 2009

आत्म-प्रसंशा /Self Appreciation

प्राप्ति ....कमेंट्स की!

पीठ खुजाने में दिक्कत है? 
आओ! एसा कर लेते है...
मैं खुजलादूं आपकी...
बदले में , मेरी ;
तुम खुजला देना.


एक हाथ से मैंने दी तो,
दूजे से तुम लौटा देना.


कर से,  कर [tax] ही की भाँति
अधिक दिया तो वापस [refund] लेना.


-मंसूर अली हाशमी

5 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

काश, अगर ये सारे धर्मांध इतनी सी बात समझ पाते !

अनूप शुक्ल said...

और आपका समय शुरु होता है अब!

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाह!
खुजा दिया है।

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

क्या खुब कहा आप ने एक हाथ से दो तो दुजे हाथ लो ।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

मंसूर जी,
एक हाथ से मैंने दी तो, दूजे से तुम लौटा देना.
यह चलन फिर भी ठीक है.

वैसे कमेंट्स पर मैं पहले कह चूका हूँ. आप यहाँ पढ़ सकते हैं (यह सिर्फ हास्य के लिए है).