Friday, September 18, 2009

Lover/माशूक

माशूक (III)
[नोट:- Interview की पहली  दो कड़ी अवश्य  पढ़े Scrolling down... :





"इश्क'' और ''आशिक'' के बाद संशोधित  "माशूक" [प्रेमिका] इस सिलसिले की अन्तिम कड़ी पेशहै:-

ब्लोगरी  [उर्फ़ पतंग]:- "तमे वापस आवी गया काका [uncle]? मुझे देखते ही वह सहसा अपनी घर की भाषा में बोल पड़ी।
म.ह:- कुछ प्रश्न बच गए है।
 पतंग:= पूछो but ...
 m.h.:- ....no personal questions please., मैंने उसका वाक्य पूरा कर दिया।
पतंग:- ..तो आप उससे मिल आए?
म.ह।:- इसी लिए यहाँ आना पड़ा कि  तुम्हारे blog titles भी तो जान लूँ  ।
पतंग:- interesting,  संयोग से मेरा हर टाइटल या तो उनके टाइटल का byeproduct है या outcome है।
म.ह:- जैसे कि ?
 पतंग:- सबसे पहले तो मैंने उसके 'दिल' पर 'धड़कन' दे डाली,फिर उसके 'कान'  ब्लॉग पर 'शौर'  मचा डाला
म  .ह:- वह! क्या बात है। तुम्हारा हिन्दी साहित्य में दिलचस्पी का प्रेरक?
 पतंग:- मेरे घर में हिन्दी की सभी मैगजीन आती है, उसमे जो तलाश करो मिल जाता है।
म.ह। :- और कोई विशेष ब्लॉग?
पतंग:- उसके 'होंठ ' पर मेरा 'kiss' तो super hit गया, एक इंग्लिश couple की फोटो भी छाप
दी थी support में।
म.ह।:- आगे क्या इरादा है?
पतंग:- उसके forth coming ' गला' के लिए मेरी आवाज़ लगभग तैयार है, आज रिलीज़ भी कर दूंगी और 'कमर' के लिए 'लचक' की study कर रही हूँ ।
म.ह। :- यानि आज-कल पढ़ाई -लिखाई सब बंद?
पतंग:- नही बल्कि exam की copy में यह सब लिख डालो तो और ज़्यादा marks आते है, १-२ supplimentry copy भी जोड़ना पड़ती है।
म.ह:- कोई मुश्किल तो नही होती 'उनके' हर ब्लॉग का जवाब देने में?
पतंग:- होती है ना!  उनकी 'आँखे' के लिए मेरा 'आंसू' निकल ही नही पा रहा। मैं तो हँसते-हंसाते रहती हूँ । काश! मैंने एकता कपूर के सीरियल देखे होते, सुना है वह तो आंसुओं का खजाना है?
म.ह। :- कोई रोचक प्रसंग ?
पतंग:- बहुत ही रोचक, शायद प्रक्रति मेरा इस मामले में साथ दे रही है।
म.ह।:- किस मामले में?
पतंग:- दो ब्लोग्स वो कभी भी नही लिख पाएंगे, नही तो मेरी तो हालत ही ख़राब हो जाती!
म.ह।:- कौन- कौन से ?
पतंग:- एक तो वही  भावना वाली 'नाक', अगर सचित्र लिखता तो...oh!shit..... मुझे उसका bye product देना पड़ता। कैसा असाहित्यिक कृत्य....भगवान ने बचा लिया।
म.ह। :- और दूसरा?
पतंग:-  kidney वाला.....और फ़िर उसका bye-product , oh God! क्या करती?
म.ह:- और तुमने अपना नाम क्यो नही बताया 'उसे'?
पतंग:- बताया है मगर   पहेली में?  कि  " मैं तुम्हारे नाम का bye प्रोडक्ट  हूँ   , उसका 'स्त्रीलिंग हूँ। उसको "सुचित्रा" का विचार ही नही आ रहा है, बुद्धू कही का!। अपने सिस्टम सॉफ्टवेअर ट्रांसलेटर में "स्त्रीलिंग" शब्द  तलाश लिया  तो उसने न जाने क्या बता दिया कि उसको दिन भर हिचकियाँ [hi-cup] ही आती रही, कई लीटर पानी पीने बाद भी, तब से उसने नाम पूछना ही छोड़ दिया है।
म.ह:-'आवाज़' का ट्रेलर नही सुनाओगी ?
पतंग: हाज़िर है.....
"हवा के 'दौश' पे होकर सवार चलती है,
जुदा हुई जो ये लब * से तो फ़िर न मिलती है"

म.ह: पतंग तुम्हारी उड़ान तो अच्छी रही, अब मैं जुदा सॉरी विदा होता हूँ , goodluck , all the best.


*कन्धा , * होंठ

-मंसूर अली हाश्मी.

1 comment:

दिनेशराय द्विवेदी said...

अपने सिस्टम सॉफ्टवेअर ट्रांसलेटर में "स्त्रीलिंग" शब्द तलाश लिया तो उसने न जाने क्या बता दिया कि उसको दिन भर हिचकियाँ [hi-cup] ही आती रही, कई लीटर पानी पीने बाद भी, तब से उसने नाम पूछना ही छोड़ दिया है।
...सुंदर है।