Tuesday, September 16, 2008

Blogging-10

ब्लागियात-१०

स्वयं के लिये:-      [ पत्नी का प्रहार.........ब्लोगर्स होशियार!]

लिखते-लिखते यह तुम को क्या सूझी,
नुक्ता चीनी पे क्यों उतर आए?
'हाश्मी' तुम शिकारी शब्दों के,
खींचा-तानी पे क्यो उतर आए?


सर को down करो है बंद server,
रोक लो अब कलम मेरे दिलबर,
कितने पन्ने स्याह कर डाले....
अब ज़रूरत है आपकी घर पर.


-जी , मैं {m}ही हूँ  {h} , [किसी से न कहना]

2 comments:

महेन्द्र मिश्र said...

baht badhiya badhai .

S.M.Masoom said...

कितने पन्ने स्याह कर डाले....
अब ज़रूरत है आपकी घर पर.
लिखते बहुत खूब हैं