Friday, August 29, 2008

Mobile Lyric

मोबाईल-दोहे

# पहले हम मिस को काँल करते थे,
   मिस[ड] अब हम को काँल आते है।
------------------------------------------------------------------------
# वो तो नम्बर ही खर्च करते है,
   हम Recharging पे नोट भरते है।
------------------------------------------------------------------------
# एक ही Ring [अंगूठी] पे साठ पार हुए,
   कईं टनो [Tones] से अब मन नही भरता।
-------------------------------------------------------------------------
# नींद बे पर ही उड़ गयी दिन की,
   झोंका लगते ही थरथराते [Vibrating mode] है।
-----------------------------------------------
# मिस जो हमने न काँल की होती,
   कितनी चिडियाएँ  डाल पर होती?
 ---------------------------------------------
# दाने अब क्यों बिखेरे बैठे हो?
   Net Work Area से बाहर हो!
---------------------------------------------------------------------------
-मन्सूर अली हाशमी

5 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

मजेदार।

Mansoor ali Hashmi said...

एक माह के लिये मिस्र [Egypt] में हूँ,2 ओक्टबर तक, वहां कुछ बल्ग़्म साँरी ब्लाँग निकले तो थीक
नही तो फ़िर भारत में मिलेंगे---ख़ुदा हाफ़िज़
-हाशमी

अनूप शुक्ल said...

सही है। मजेदार!

रवि रतलामी said...

हाशमी साहब, आपके बल्ग़म सॉरी ब्लॉग तो कमाल के हँसोड़ हैं. मुश्किल दुनिया में हँसने हँसाने का मसाला कम ही मिलता है. गुजारिश है कि नित्य बल्ग़म थूकते रहें...

Udan Tashtari said...

मजेदार!